देश में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतें बड़ी समस्या हैं. न सिर्फ आम उपभोक्ता के लिए बल्कि किसानों के लिए भी. किसान भी उपभोक्ता होता है, इसलिए उसे भी तेल की महंगी कीमतें चुकानी पड़ती हैं. आखिर तेल के दाम इतने क्यों बढ़ रहे हैं? जवाब है तिलहन उत्पादन का कम होना, जिससे बाजार में सप्लाई कम हो जाती है. दूसरी ओर मांग तेजी से बढ़ रही है. उस मांग को पूरा करने के लिए देश को बाहर से खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है.
एक आंकड़ा बताता है कि देश में तिलहन का उत्पादन 1 करोड़ 24 लाख टन है जबकि मांग पूरा करने के लिए 1 करोड़ 65 लाख टन तेल बाहर से मंगाना पड़ता है. आयात पर इस निर्भरता को कम करने और उसके उपायों के बारे में जानने के लिए नीति आयोग ने अभी हाल में किसानों पर सर्वे किया. इस सर्वे में 7 प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्यों के किसानों ने हिस्सा लिया. इस सर्वे में बहुतायत किसानों ने बताया कि तिलहन उत्पादन घटने के पीछे असली वजह सिंचाई की सुविधा का नहीं होना है. किसानों ने कहा कि अगर सिंचाई की सुविधा बढ़े तो वे अपने खेतों से तिलहन उगा कर दिखा देंगे.
सर्वे में किसानों ने अधिक मंडी शुल्क को भी जिम्मेदार ठहराया. किसानों की राय थी कि वे उन फसलों की खेती करना ज्यादा पसंद करते हैं जिनका मंडी शुल्क कम हो. कुछ किसानों ने यह भी बताया कि कीटनाशक की कमी और नई तकनीकों का अभाव भी तिलहन उत्पादन में गिरावट के मुख्य कारण हैं. किसानों ने खरीद सब्सिडी को भी जिम्मेदार बताया. किसानों का कहना है कि डीजल और खाद को सब्सिडी पर बेचा जाए तो किसान उसे खरीदने के लिए आगे आएंगे और तिलहन की खेती के प्रति आकर्षित होंगे. इसमें कीटनाशकों की बिक्री भी सब्सिडी पर किए जाने की मांग की गई.
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हरियाणा के 58 परसेंट रकबे में धान और गेहूं का उपजाऊपन घटा है. साथ ही तिलहन का रकबा घटा है. यहां के किसानों ने बताया कि प्रोसेसिंग की सुविधा नहीं मिलने से भी वे तिलहन की खेती में आगे नहीं बढ़ रहे हैं. महाराष्ट्र के किसानों ने बताया कि 5 साल में बार-बार सूखे से तिलहन की पैदावर बहुत घटी है. इससे परेशान होकर किसान तिलहन की खेती से पीछे हट रहे हैं. यूपी के अधिकांश किसानों की शिकायत है कि उन्हें स्टोरेज की सुविधा नहीं मिलती. प्रदेश में अलसी की पैदावार भी कम है और सिंचाई की सुविधा नहीं मिलती, इसलिए वे तिलहन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते.
अन्य राज्यों की बात करें तो राजस्थान के अधिकांश किसानों ने कहा कि उन्हें सिंचाई की अच्छी सुविधा नहीं मिलती, इसलिए वे तिलहन से बच रहे हैं. ये किसान चाहते हैं कि उन्हें सूखारोधी तिलहन की किस्में मिलें ताकि सिंचाई की सुविधा कम होने पर भी पैदावार मिल सके. मध्य प्रदेश के किसानों की सलाह है कि उन्हें स्टोरेज की सुविधा मिले, खरीद केंद्र बढ़े और बिजली की सप्लाई दुरुस्त हो तो वे तिलहन की ओर बढ़ सकते हैं. कर्नाटक के किसानों ने बताया कि डीजल, खाद, कीटनाशक-दवा जैसी महंगी चीजों की वजह से तिलहन की खेती नहीं करते हैं.
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सर्वे में अधिकांश किसानों ने यही कहा कि सरकार अगर डीजल और खाद सब्सिडी बढ़ाए तो वे तिलहन की खेती बढ़ाएंगे. इससे उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है. किसानों का कहना है कि अधिक उपज देने वाली किस्मों के बारे में आम किसानों को पता नहीं है, इसलिए वे परंपरागत किस्मों पर भी निर्भर हैं. सरकार को ऐसी किस्मों के बारे में किसानों को जागरूर करना चाहिए. किसानों ने कहा कि सरकार प्रोसेसिंग की सुविधा बढ़ाए ताकि किसान अपनी उपज को अच्छे रेट पर बेच सकें और कमाई बढ़ा सकें. छोटे किसान मंडियों में अच्छे रेट पर उपज नहीं बेच पाते और उन्हें कम दाम पर पैदावार बेचनी पड़ जाती है जिससे उन्हें घाटा होता है. सरकार इन किसानों की समस्याओं पर ध्यान दे तो तिलहन का उत्पादन बढ़ सकता है.