जानकारी के अभाव की वजह से अक्सर लोग पौधों के कई हिस्सों को बेकार समझ कर फेंक देते हैं. कद्दू या कुम्हड़े को कौन नहीं जानता, इसे हर भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण और स्वादिष्ट सब्जी के तौर पर पकाया और खाया जाता है.कद्दू की सब्जी बनाते समय उसे काटे जाने के बाद फल के अंदर से जो बीज निकलते हैं, अक्सर लोग उसे फेंक देते हैं. वहीं कद्दू के बीज की खासियत इसमें पाए जाने वाले अनेक महत्वपूर्ण पोषक तत्व और रसायन हैं जो हमारी सेहत को बेहतर बनाने के लिए कई मायनों में असरदार होते हैं. इसके बीजों के औषधीय गुणों की वकालत आधुनिक विज्ञान भी खूब कर रहा है.
वहीं जाने-माने इथनो-बॉटनिस्ट और वैज्ञानिक डॉ. दीपक आचार्य ने भी इसके औषधीय गुणों के बारे में बताया है. आइए जानते हैं क्या है कद्दू के बीज के फायदे और कैसे करें इसका सेवन.
अब तक आपने मिठाइयों में, लड्डुओं में चिपके हुए कद्दू के बीजों को देखा होगा, अब आप इन्हें अपने साधारण खानपान के साथ भी जोड़ सकते हैं. जब भी ब्रेक मिले इसके 25 ग्राम बीज दिन में एक बार चबा लें. दरअसल कद्दू के बीज को सुपरसीड का दर्जा दिया जाता है. कद्दू के बीज, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज और ककड़ी के बीज, ये चारों बीज मगज यानी ब्रेन टॉनिक हैं. ध्यान रहे, आज के बाद इन बीजों न फेंके.
ये भी पढ़ें:- Sunflower Farming: कैसे होती है उस सूरजमुखी की खेती जिसे लेकर चल रहा है आंदोलन, पढ़ें पूरी डिटेल
शोध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कद्दू के एक कप बीज में सामान्य तौर पर एक दिन के लिए आवश्यक (डेली वैल्यू या डीवी) ज़िंक की 44 प्रतिशत, 42 प्रततिश मेग्नेशियम, 16 प्रतिशत मैगनीज, 17 प्रतिशत पोटेशियम और करीब 17 प्रतिशत आयरन जैसे पोषक तत्वों की मौजूद होती है और माना जाता है कि आयरन की कमी से होने वाली रक्त अल्पता यानी एनीमिया के लिए ये सबसे उत्तम औषधि हो सकती है. बीजों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के अलावा इससे प्राप्त तेल और बीजों से बने व्यंजनों से भी कई रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है.
कद्दू के बीज के अनेकों फायदे हैं. जर्नल ऑफ़ ट्रेडिशनल एंड कॉम्प्लीमेंट्री मेडिसिन में 2014 में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार कद्दू के बीजों से प्राप्त तेल से प्रोस्टेट वृद्धि को कम होते पाया गया है. माना जाता है की प्रोस्टेट ग्रंथि के वृद्धि से परेशान रोगी को प्रतिदिन कम से कम 4-5 ग्राम कद्दू के तेल का सेवन जरूर करना चाहिए. वहीं इसके सेवन से एनर्जी लेवल बढ़ता है, डायबिटीज कंट्रोल होती है और हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है.