हरियाणा के सूरजमुखी की खेती करने वाले किसान कुछ दिनों से सूरजमुखी के MSP पर खरीदे जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. राज्य के कृषि विभाग ने सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने का फैसला लिया है. लेकिन, किसानों का आरोप है कि सरकार इस योजना की आड़ में MSP पर सूरजमुखी की खरीद बंद करना चाहती है. इस पूरे मुद्दे को लेकर अपडेट आप लगातार किसान तक पर पढ़ सकते हैं, मगर इसी के साथ आप जान लीजिए कि सूरजमुखी की खेती कैसे की जाती है. क्या है इसकी खेती से जुड़ी लागत और कमाई का पूरा गणित. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फूलों वाले फसलों की खेती में कम लागत आती है तो मुनाफा उससे कई गुना ज्यादा होता है. यही वजह है कि किसानों के बीच फूलों की खेती को लेकर रुझान बढ़ा है. सूरजमुखी की खेती को मुनाफा देने वाली फसल माना जाता है.
सूरजमुखी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. इसके अलावा भी इसकी खेती को कई तरह की मिट्टी में किया जा सकता है. इसकी खेती में मिट्टी का PH मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए. सामान्य तौर पर सूरजमुखी की खेती तीनों ही सीजन में की जा सकती है, लेकिन, रबी और जायद का सीजन इसकी फसल के लिए उचित माना जाता है. इस दौरान इसके पौधों में बहुत कम रोग देखने को मिलते हैं, जिससे पैदावार भी अच्छी मात्रा में होती है. वहीं इसके बीजों की रोपाई के समय 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, क्योंकि अधिक तापमान में इसके बीज अच्छे से अंकुरित नहीं हो पाते हैं.
सूरजमुखी के बीजों की रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर उसमें सही मात्रा में उर्वरक डालें. इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें. जुताई के बाद कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें. इससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाती है. इसके बाद खेत में बीज रोपाई के 15 दिन पहले खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर जुताई करवा दे, इससे खेत की मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिल जाती है. इसके बाद खेतों में मेड़ बनाकर बीजों की बुवाई करें.
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सूरजमुखी के तेल का सेवन तो बहुत से लोगों ने किया होगा, लेकिन कम ही लोग जाते हैं कि इसके बहुत से फायदे हैं. सूरजमुखी के फूलों और बीजों में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसका सेवन करने से दिल स्वस्थ रखता है और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए भी फायदेमंद है. वहीं इससे लीवर भी सही रहता है.
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