Tea Export: अफ्रीकी देशों से आयात हो रही सस्‍ती चाय, परेशानी में असम के छोटे किसान

Tea Export: अफ्रीकी देशों से आयात हो रही सस्‍ती चाय, परेशानी में असम के छोटे किसान

असम चाय का बाजार लंबे समय से कई समस्याओं से जूझ रहा है, जैसे कि उत्पादन का मांग से ज्‍यादा होना और इस साल, उत्पादकों के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है- अफ्रीका और एशिया के बाकी उत्पादक देशों से सस्ती चाय के आयात में बढ़ोतरी. कई चाय संघों ने इस पर चिंता जताई है और चाय के आयात पर बेहतर नियंत्रण और निगरानी की मांग की है. 

Assam announces Rs 5,000 aid for over 7 lakh tea garden workers on International Tea DayAssam announces Rs 5,000 aid for over 7 lakh tea garden workers on International Tea Day
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 09, 2025,
  • Updated Sep 09, 2025, 2:43 PM IST

असम में चाय के उत्‍पादक इन दिनों खासे परेशान हैं और वजह है चाय का आयात बढ़ना. किसानों की मानें तो उन्‍हें अब नुकसान की चिंता सताने लगी है. कुछ किसान तो इससे किनारा करने की भी सोच रहे हैं. चाय संघों की तरफ से भी इस पर चिंता जताई गई और उनका कहना है कि चाय का उद्योग अब संकट में है. वहीं उनकी नजरें सरकार पर भी टिकी हुई हैं. आपको बता दें कि असम भारत में सबसे बड़ा चाय उत्‍पादक क्षेत्र है लेकिन इस समय इसमें लगे किसानों को मुनाफा न के बराबर हो रहा है. 

बड़ी मुश्किल से मिलते दाम 

अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार असम के गोलाघाट जिले में पांच एकड़ जमीन पर 36 सालों से असीम सैकिया एक छोटा-सा चाय बागान चला रहे हैं. उनका कहना है कि पिछले दो दशकों में यह और भी मुश्किल होता गया है. लेकिन इस साल उनके मन में सवाल उठ रहा है कि क्या चाय उद्योग में बने रहना सही है भी या नहीं. इसकी वजह है, उनके जैसे छोटे चाय उत्पादकों को जिन फैक्टरियों में वे चाय बेचते हैं वहां से अब उन्‍हें बहुत कम दाम मिलने लगे हैं. 

बागान चलाना भी मुश्किल 

उन्‍होंने बताया, 'यह वह मौसम है जब चाय तोड़ने और बेचने का काम जोरों पर होता है. पिछले साल मैं हरी पत्तियां फैक्टरियों को 25-26 रुपये प्रति किलो की दर से बेच पाया था जबकि इस साल फैक्‍टरी से मुझे 14-15 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं. चूंकि अच्छी क्वालिटी की पत्तियों को तोड़ने में ही 10 रुपये प्रति किलो से ज्‍यादा का खर्च आता है और साथ ही ढुलाई का खर्च भी होता है. इसलिए मुझे बमुश्किल इतना ही मिल पा रहा है कि मैं अपना बागान चला सकूं. 

इस मुश्किल में वह अकेले नहीं हैं. असम चाय का बाजार लंबे समय से कई समस्याओं से जूझ रहा है, जैसे कि उत्पादन का मांग से ज्‍यादा होना और इस साल, उत्पादकों के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है- अफ्रीका और एशिया के बाकी उत्पादक देशों से सस्ती चाय के आयात में बढ़ोतरी. कई चाय संघों ने इस पर चिंता जताई है और चाय के आयात पर बेहतर नियंत्रण और निगरानी की मांग की है. 

केन्‍या से आती है सस्‍ती चाय 

संघों ने विशेष रूप से केन्या से भारत को निर्यात की जाने वाली चाय में वृद्धि की ओर ध्यान दिलाया है. केन्या चाय बोर्ड के अनुसार, इस अफ्रीकी देश का निर्यात 2024 में बढ़कर 17.13 मिलियन किलोग्राम हो गया है जो 2023 के 5.26 मिलियन किलोग्राम से 225 फीसदी की भारी वृद्धि को बताता है. जनवरी और जून 2025 के बीच, केन्या ने भारत को 6.69 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 4.61 मिलियन किलोग्राम था. 

इंडियन टी एसोसिएशन (असम ब्रांच) के सचिव दीपांजोल डेका ने कहा, 'चिंता की बात यह है कि आयात की जा रही इन सस्ती चायों को पैकर्स और ब्रांड्स द्वारा असम चाय के कुछ प्रतिशत के साथ मिलाया जा रहा है और फिर इस उत्पाद की मार्केटिंग, बिक्री और इसे असम चाय के तौर पर री-एक्‍सपोर्ट किया जाता है. सैकिया जैसे छोटे चाय उत्पादकों के लिए, जो पहले से ही चाय बाजार में मंदी की मार झेल रहे हैं, यह एक बड़ा झटका है.  

असम में होता कितना उत्‍पादन 

ऐसे चाय उत्पादक - जिनके पास 10 हेक्टेयर से कम आकार के बागान हैं और जिनके पास अपनी चाय फैक्ट्रियां नहीं हैं, असम के प्रसिद्ध चाय उद्योग की सबसे छोटी जमीनी इकाई हैं. वर्तमान में असम के चाय उत्पादन का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा इनका है. भारत में सालाना उत्पादित होने वाली चाय का करीब आधा हिस्सा असम का है. साल 2024 में, असम का हिस्सा 649.84 मिलियन किलोग्राम या भारत के कुल चाय उत्पादन का 50.58 प्रतिशत था. यह आंकड़ा 2023 में 688.33 मिलियन किलोग्राम (49.3 प्रतिशत), 2022 में 688.7 मिलियन किलोग्राम (50.4 प्रतिशत) और 2021 में 667.73 मिलियन किलोग्राम (49.7 प्रतिशत) था. 

यह भी पढ़ें- 

MORE NEWS

Read more!