जम्‍मू कश्‍मीर के पुंछ में कैसे Organic Farming से बदल रही किसानों की किस्‍मत 

जम्‍मू कश्‍मीर के पुंछ में कैसे Organic Farming से बदल रही किसानों की किस्‍मत 

पुंछ की मिट्टी, ठंडी जलवायु और स्वच्छ जल स्रोतों के कारण ऑर्गेनिक खेती के लिए अनुकूल है. किसान अब अपने खेतों में रासायनिक खाद की बजाय कंपोस्ट, गोबर की खाद, हरी खाद और वर्मी-कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है और फसलों का पोषण भी संतुलित रहता है.

Organic farming success myth vs realityOrganic farming success myth vs reality
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 03, 2025,
  • Updated Dec 03, 2025, 5:20 PM IST

पुंछ, जो जम्मू-कश्मीर का हरा-भरा क्षेत्र है, पिछले कुछ सालों में अपनी नैचुरल ब्‍यूटी के साथ-साथ कृषि में भी चर्चा में रहा है. यहां के किसान अब धीरे-धीरे रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों से दूर होकर ऑर्गेनिक फार्मिंग की ओर बढ़ रहे हैं. इसका मकसद न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करना है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और उच्च मूल्य वाले उत्पादों के माध्यम से आय बढ़ाना भी है. इसी मकसद से पिछले दिनों यहां जिला कृषि विभाग ने कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से किसानों के लिए ऑर्गेनिक खेती पर एक दिन का ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किया. इसमें करीब 100 महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया. 

किसानों को दिए गए टिप्‍स 

पुंछ की मिट्टी, ठंडी जलवायु और स्वच्छ जल स्रोतों के कारण ऑर्गेनिक खेती के लिए अनुकूल है. किसान अब अपने खेतों में रासायनिक खाद की बजाय कंपोस्ट, गोबर की खाद, हरी खाद और वर्मी-कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है और फसलों का पोषण भी संतुलित रहता है. ऑर्गेनिक खेती पर हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि अधिकारी तेजिन्दर सिंह बलवाल और कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. अजय गुप्ता ने की. दोनों एक्‍सपर्ट्स ने किसानों को ऑर्गेनिक खेती के फायदे, मिट्टी की उर्वरक क्षमता में सुधार और आय बढ़ाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी. 

किसानों को मिली पोर्टल की जानकारी 

प्रोग्राम के दौरान किसानों को यह भी बताया गया कि जिले में पिछले तीन वर्षों से जैविक खेती कर रहे किसानों को पोर्टल पर रजिस्‍ट्रेशन की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए, ताकि उन्हें अधिक लाभ और योजनाओं की जानकारी मिल सके. इस क्षेत्र के किसान अब मुख्य रूप से साबुत अनाज, मसाले, तिलहन और सब्जियों की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. जैसे कि बाजरा, गेहूं, ज्वार, धनिया, हल्दी और शिमला मिर्च. इन फसलों की मांग देश के बड़े शहरों में तेजी से बढ़ रही है. विशेष रूप से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में ऑर्गेनिक उत्पादों की कीमत रासायनिक खेती से कई गुना अधिक है.

100 से ज्‍यादा किसान हुए शामिल 

पुंछ के ट्रेनिंग प्रोग्राम में 100 से अधिक किसानों ने शिरकत की, जो जिले में जैविक खेती के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाता है. कार्यक्रम में शामिल किसान मोहम्मद सफीर ने बताया कि वे पूरी तरह जैविक खेती करते हैं और किसी प्रकार के रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते. उन्होंने किसानों से कहा कि ऑर्गेनिक खेती से फसलों का उत्पादन अच्छा होता है और यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर है. प्रधानमंत्री मोदी के अनुरोध के बाद जिला कृषि विभाग ने हमें जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे हमें काफी लाभ मिला. 

क्‍या कहा किसानों ने 

किसान जानकीनाथ ने बताया कि प्रोग्राम में किसानों को रासायनिक खाद के उपयोग को कम करने और गोबर जैसे प्राकृतिक खादों को अपनाने की सलाह दी गई. उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद के प्रयोग से जमीन सख्त हो गई थी, लेकिन जैविक खाद का उपयोग शुरू करने के बाद मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार दिख रहा है और फसल उत्पादन भी बेहतर हो रहा है. पुंछ के किसान ऑर्गेनिक खेती के जरिए न केवल अपने खेतों की उर्वरता और पर्यावरण की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि अपनी आमदनी बढ़ाकर नए आर्थिक अवसर भी पैदा कर रहे हैं. यह क्षेत्र धीरे-धीरे ऑर्गेनिक हब के रूप में उभरता दिखाई दे रहा है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है. 

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