Kisan Call Centres कैसे करते हैं काम, कहां-कहां हैं मौजूद? केंद्रीय मंत्री ने दी पूरी जानकारी

Kisan Call Centres कैसे करते हैं काम, कहां-कहां हैं मौजूद? केंद्रीय मंत्री ने दी पूरी जानकारी

Kisan Call Centres Details: केंद्र सरकार किसान कॉल सेंटर नेटवर्क को मजबूत कर रही है. किसान अब 22 से ज्यादा भाषाओं में खेती, मौसम, बाजार और सरकारी योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं. IVR, वॉइस मेल और कॉल बैक जैसी सुविधाओं से किसानों को आसान और तेज समाधान मिल रहा है.

Kisan Call Centre Working ProcessKisan Call Centre Working Process
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Dec 14, 2025,
  • Updated Dec 14, 2025, 7:00 AM IST

देश के किसानों को खेती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी एक ही नंबर पर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार किसान कॉल सेंटर व्यवस्था को लगातार मजबूत कर रही है. किसान कॉल सेंटर यानी KCC अब केवल एक हेल्पलाइन नहीं रह गया है, बल्कि यह किसानों के लिए कृषि सलाह, सरकारी योजनाओं की जानकारी और समस्याओं के समाधान का भरोसेमंद मंच बन चुका है. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने चालू संसद सत्र के दौरान लोकसभा में लिखित जवाब में इसे लेकर विस्तार से जानकारी दी है.

केंद्रीय मंत्री ने सदन में बताया है कि किसान कॉल सेंटर पर आने वाली हर कॉल को तय समय में उठाने का प्रावधान है. अगर लाइन खाली होती है तो किसान की कॉल चार रिंग के भीतर रिसीव कर ली जाती है. अगर कॉल क्यू में चली जाती है तो किसान को IVR सिस्टम के जरिए उसकी बारी, अनुमानित प्रतीक्षा समय और मौसम या मौसम के अनुसार जरूरी कृषि सलाह सुनाई जाती है. इससे किसान को इंतजार के दौरान भी उपयोगी जानकारी मिलती रहती है.

टेली एडवाइजर/सुपरवाइजर किसानों को करते हैं कॉल बैक

किसानों की सुविधा के लिए वॉइस मेल सिस्टम की व्यवस्था भी की गई है. अगर सभी लाइनें व्यस्त हों और किसान इंतजार नहीं करना चाहता तो वह दो मिनट तक का वॉइस मैसेज रिकॉर्ड कर सकता है. इस मैसेज में किसान अपनी समस्या और संपर्क नंबर दर्ज करता है. बाद में फार्म टेली एडवाइजर या सुपरवाइजर किसानों को कॉल बैक कर उनकी समस्या का समाधान करते हैं. कम कॉल वाले समय में ऐसे मामलों को प्राथमिकता दी जाती है.

पूरे देश में फैला किसान कॉल सेंटर नेटवर्क

केंद्रीय मंत्री की ओर से जारी बयान के मुताबिक, किसान कॉल सेंटर देश के हर क्षेत्र को कवर कर रहे हैं और स्थानीय भाषाओं में सेवाएं दे रहे हैं, ताकि भाषा कभी भी किसानों के लिए बाधा न बने. देश के अलग-अलग हिस्‍सों में बने किसान कॉल सेंटर से एक या उससे ज्‍यादा भाषाओं में काम कर रहे हैं. 

  • अगरतला केंद्र से त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय के किसान जुड़े हैं, जहां बंगाली, मिजो, खासी और गारो भाषाओं में सलाह मिलती है. 
  • अहमदाबाद केंद्र गुजरात, दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव को कवर करता है और यहां गुजराती व कोंकणी भाषा में सेवाएं दी जाती हैं. 
  • बेंगलुरु केंद्र कर्नाटक के किसानों को कन्नड़ में सलाह देता है, जबकि भुवनेश्वर केंद्र ओडिशा के किसानों को ओड़िया भाषा में जोड़ता है.
  • चंडीगढ़ किसान कॉल सेंटर हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के किसानों को हिंदी और पंजाबी भाषा में सलाह देता है. 
  • कोयंबटूर केंद्र तमिलनाडु, पुडुचेरी, तिरुवनंतपुरम और लक्षद्वीप के किसानों को तमिल और मलयालम में सेवा देता है. 
  • गुवाहाटी केंद्र अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड के किसानों को हिंदी, आदि, असमिया, मणिपुरी और नागामीस भाषाओं में जोड़ता है. 
  • हैदराबाद केंद्र तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों को तेलुगु में सलाह देता है. जबलपुर केंद्र मध्य प्रदेश को हिंदी में कवर करता है. 
  • जयपुर केंद्र दिल्ली और राजस्थान के किसानों को हिंदी में सेवाएं देता है. जम्मू केंद्र जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख के लिए डोगरी और कश्मीरी भाषा में काम करता है. 
  • कानपुर केंद्र उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को हिंदी में जोड़ता है. कोलकाता केंद्र पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अंडमान-निकोबार के किसानों को बंगाली, सिक्किमी, नेपाली, तमिल और हिंदी में सेवा देता है. 
  • पटना केंद्र बिहार और झारखंड, पुणे केंद्र महाराष्ट्र और गोवा, रायपुर केंद्र छत्तीसगढ़ और सोलन केंद्र हिमाचल प्रदेश के किसानों को स्थानीय भाषा में सलाह देता है.

विशेषज्ञ करते हैं किसानों की मदद

किसान कॉल सेंटर पर किसानों के सवालों का जवाब कृषि और संबद्ध विषयों में प्रशिक्षित स्नातक फार्म टेली एडवाइजर देते हैं. जो सवाल यहां हल नहीं हो पाते, उन्हें राज्य कृषि विभाग, ICAR संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों तक भेजा जाता है.

नई तकनीक पर दिया जा रहा जोर

सरकार अब किसान कॉल सेंटर को और प्रभावी बनाने के लिए वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिए शिकायत दर्ज कराने की सुविधा को मजबूत कर रही है. साथ ही AI और मशीन लर्निंग आधारित टूल्स को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि किसानों को तेज और सटीक समाधान मिल सके. 

सरकार ने यह भी बताया है कि पिछले तीन वर्षों में किसान कॉल सेंटर की सेवाओं और गुणवत्ता का आकलन करने के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी से मूल्यांकन कराया जा रहा है, जिससे इस व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके.

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