CIRG: दूध भी बढ़ाता है और पूरे साल मिलता है बकरियों का ये हरा चारा, जानें डिटेल

CIRG: दूध भी बढ़ाता है और पूरे साल मिलता है बकरियों का ये हरा चारा, जानें डिटेल

सीआईआरजी के साइंटिस्ट का कहना है कि मोरिंगा यानि सहजन में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है. इसके साथ ही दूसरे जरूरी मिनरल्स और विटामिन भी इसके अंदर हैं. दूसरे हरे चारे के मुकाबले प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स  के मामले में यह बहुत ही पौष्टिक है. 

सीआईआरजी में उग रहा मोरिंगा. फोटो क्रेडिट-किसान तकसीआईआरजी में उग रहा मोरिंगा. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • Apr 25, 2023,
  • Updated Apr 25, 2023, 3:34 PM IST

बकरे-बकरी हों या गाय-भैंस सभी के लिए 12 महीने हरा चारा जुटाना एक बड़ी परेशानी है. क्योंकि बारिश के मौसम में तो हरा चारा आसानी से मिल जाता है. सर्दियों में भी हरे चारे की जुगाड़ हो ही जाती है. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी गर्मियों में होती है. ऐसे में उस चारे की जरूरत होती है जो दूध बढ़ाने वाला पौष्टिक भी हो और हर मौसम में आसानी से मिल जाए. खासतौर पर दूध देने वाले पशुओं के लिए 12 महीने इसी तरह के हरे चारे की जरूरत होती है. बकरियों को भी दाने और सूखे चारे के साथ हरा चारा चाहिए होता है. मोरिंगा (सहजन) एक ऐसा ही हरा चारा है. 

केन्द्री य बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा बीते पांच साल से इस पर रिसर्च कर रहा है. साइंटिस्ट का कहना है कि बेशक मोरिंगा का एक पेड़ होता है. लेकिन कुछ जरूरी बातें ध्यान रखी जाएं तो इसकी पत्तियों के साथ ही इसके तने को भी चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. तने को पैलेट्स में तब्दील कर 12 महीने इसे बकरे और बकरियों को खिलाया जा सकता है.

साइंटिस्ट ने बताया कब लगाया जाता है मोरिंगा 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने किसान तक को बताया कि मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम सही होता है. जैसे बारिश का मौसम आ रहा है. अगर जून से मोरिंगा लगाना शुरू कर दिया जाए तो फायदेमंद रहेगा. लेकिन ख्याल यह रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई 90 दिन यानि तीन महीने के बाद करनी है. तीन महीने के वक्त  में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है. 

तो इस तरह से पहली कटाई 90 दिन में करने के बाद बाकी की कटाई हर 60 दिन बाद करनी है. काटते वक्त यह खास ख्याल रखना है कि इसकी कटाई जमीन से एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई से करनी है. इससे होता यह है कि नई शाखाएं आने में आसानी रहती है. 

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मोरिंगा के तने को ऐसे बना सकते हैं पैलेट्स  

डॉ. आरिफ ने बताया कि मोरिंगा के तने को भी बकरी खाती है. क्योंकि इसका तना बहुत ही मुलायम होता है. इसकी पत्तियों को भी बकरे और बकरी बड़े ही चाव से खाते हैं. अगर आप चाहें तो पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं. इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं. पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है. ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं. 

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ऑर्गनिक चारा भी उगाया जा रहा है सीआईआरजी में 

डॉ. मोहम्मद आरिफ ने बताया कि जब तक बकरी खुद से बाग, मैदान और जंगल में चर रही है तो उसका दूध 100 फीसद ऑर्गेनिक है. क्योंकि बकरी की आदत है कि वो अपने चारे को पेड़ और झाड़ी से खुद चुनकर खाती है. लेकिन जब हम फार्म या घर में पाली हुई बकरियों को बरसीम, चरी या और दूसरा हरा चारा देते हैं तो उसमे पेस्टी साइट शामिल रहता है. जिसके चलते उस पेस्टी ससाइट का असर बकरी के दूध में भी शामिल हो जाता है. 

इसीलिए हम संस्थान में बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने के लिए आने वाले किसानों को ऑर्गेनिक चारा उगाने के बारे में बता रहे हैं. इतना ही नहीं हम खुद भी अपने संस्थान के खेतों में ऑर्गेनिक चारा उगा रहे हैं. इसके हमने जीवामृत, नीमास्त्रह और बीजामृत बनाया है. जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देशी गाय के गोबर-मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाया जा रहा है. यह सभी चीज मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया को और बढ़ा देते हैं. इसी का फायदा चारे को मिलता है. 

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