बंगाल में जून में ही बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात बन गए है. राज्य के कई इलाकों में जलभराव जैसी स्थिति देखने को मिल रही है. हुगली, पश्चिम बर्धमान और पश्चिमी मिदनापुर में बाढ़ ने कहर ढहा रखा है. हुगली के आरामबाग और खानकुल क्षेत्रों में स्थिति गंभीर है. यहां द्वारकेश्वर और रूपनारायण नदियों से आई बाढ़ का पानी सड़कों, घरों और खेतों में भर गया है. तटबंधों में दरारें आ गई हैं, जिससे निवासियों को बांध के ऊपर और छतों पर तिरपालों पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि अधिकारी आपातकालीन शिविर लगा रहे हैं. बाढ़ से 5 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है.
सामान्य रास्ते जलमग्न होने के कारण, अस्थायी नावों की मरम्मत की जा रही है और उन्हें ही परिवहन के एकमात्र साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. पानी स्कूलों, अस्पतालों और ब्लॉक कार्यालयों में भी घुस गया है. स्थानीय लोग तटबंधों के ऊपर बने राहत आश्रयों पर निर्भर हैं. लोग यहां बाधित संचार, खाने की कमी, साफ पानी और बढ़ती बीमारी के जोखिमों से जूझ रहे हैं. जिला प्रशासन ने राहत वितरण और रेस्क्यू की कोशिशें तेज कर दी है. लेकिन आपदा का पैमाना प्रभावित गांवों में लोगों को परेशान कर रहा है.
वहीं, पश्चिम बर्धमान में पुरुलिया में तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. दरअसल एक कम दबाव वाला वेदर सिस्टम बना हुआ है, जिससे पूरे जिले में शहरी केंद्र से लेकर दूरदराज के गांवों तक भयंकर बाढ़ आ गई है. सड़कें और पुल डूब गए हैं, घर पानी में डूब गए हैं, जिससे निवासियों को घुटने से लेकर कमर तक पानी से होकर गुज़रना पड़ रहा है. बलरामपुर ब्लॉक के बघाड़ी गांव में सही जल निकासी व्यवस्था की कमी के कारण ऊंची सड़कों से पानी घरों में घुस रहा है.
मिट्टी के घरों में दरारें पड़ गई हैं और ग्रामीण डर के साये में जी रहे हैं. इस बीच, उफनती कुमारी नदी ने बारा उर्मा-कुमारी कानन पुल को पानी से भर दिया है, जिससे आस-पास के 12-15 गांवों का संपर्क टूट गया है. बीडीओ सौगत चौधरी सहित जिला अधिकारी सक्रिय रूप से संकट की निगरानी कर रहे हैं और राहत उपाय तैयार कर रहे हैं. उन्होंने नुकसान का आकलन करने और जल्द ही क्षेत्र का दौरा करने की बात कही है.
वहीं, पश्चिमी मिदनापुर के घाटल और गरबेटा क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में लगातार भारी बारिश के बाद बाढ़ का संकट गहरा गया है. घाटल में शिलावती नदी अपने ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है, बाढ़ ने तटबंधों को तोड़ दिया है. सड़कें और गाँव जलमग्न हो गए हैं और यहां तक कि एसडीओ कार्यालय और पुलिस स्टेशन जैसी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों में भी बाढ़ आ गई है. क्षेत्र में 5,000 से ज्यादा निवासियों को बचाया गया है और राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है.
शिविराें में उन्हें भोजन, चिकित्सा सहायता और जलमग्न इलाके में नेविगेट करने के लिए नाव दी जा रही है. ट्रांसपोर्ट बुरी तरह से बाधित हो गया है. स्टेट हाइवे से संपर्क कट गया है. परिणामस्वरूप, चंद्रकोना कॉलेज ने अपनी स्नातक परीक्षाएं रद्द कर दी हैं. एनडीआरएफ, स्थानीय अधिकारियों और सिंचाई अधिकारियों सहित आपदा प्रतिक्रिया दल मौके पर हैं, जबकि नियंत्रण कक्ष सक्रिय कर दिए गए हैं और राहत कार्यों का समन्वय किया गया है. राज्य के सिंचाई मंत्री आगे के बचाव और पुनर्वास उपायों को निर्धारित करने के लिए दोपहर में प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने वाले हैं. (दीपनीता की रिपोर्ट)