क‍िसान अच्छी पैदावार के लिए फसल चक्र के अनुसार करें खेती, यहां समझेें पूरी कहानी

क‍िसान अच्छी पैदावार के लिए फसल चक्र के अनुसार करें खेती, यहां समझेें पूरी कहानी

भारत में कृषि का बहुत महत्व है. देश के अधिकांश लोग खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं ऐसे में जाहिर सी बात है हर किसान अपने खेतों में अच्छी उपज पाना चाहते हैं. लेकिन इसके लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है.

फसल चक्र के तहत खेती करने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, फोटो साभार: Freepikफसल चक्र के तहत खेती करने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, फोटो साभार: Freepik
नयन त‍िवारी
  • Noida,
  • Dec 19, 2022,
  • Updated Dec 19, 2022, 6:46 PM IST

भारत में कृषि का बहुत महत्व है. देश के अधिकांश लोग खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं ऐसे में जाहिर सी बात है हर किसान अपने खेतों में अच्छी उपज पाना चाहते हैं. लेकिन इसके लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है जैसे कि खेतों की जुताई और बुआई करने का सही समय और तरीका, कौन से खेत की मिट्टी किस फसल के लिए उपयुक्त है. इसके अलावा फसल चक्र का विशेष रूप से ध्यान देना होता है. फसल चक्र के बारे में अधिकांश क‍िसानों को जानकारी नहीं होती है. ऐसे में क‍िसान लगातार एक ही फसलों की बुआई खेतों में करते रहते हैं. जिससे वे अच्छी पैदावार नहीं प्राप्त कर पाते हैं. आइए फसल चक्र के बारे में विस्तार से जानते हैं.

फसल चक्र का अर्थ

लगातार एक ही खेत में एक ही फसल को बोए जाने से खेत के मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आती है जिससे फसलों के उत्पादन में प्रभाव पड़ता है.रबी, खरीफ और जायद के सीजन में बोई जाने वाली फसलों को आप यदि हर बार बदल कर खेतों की बुआई करते हैं तो इससे उपज में भी बढ़ोतरी होगी और मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहेगी. लगातार फसलों का परिवर्तन के साथ खेतों की बुआई करना ही फसल चक्र है, जो अच्छी उपज के लिए बहुत जरूरी है. आप हर साल यदि फसलों को नहीं बदलना चाहते तो आप हर दूसरे और तीसरे साल में भी फसलों का परिवर्तन कर सकते हैं.

फसल चक्र के लाभ

खेती से अधिकांश किसानों की आर्थिक आय भी टिकी होती है. इसलिए किसान हमेशा फायदे की खेती करना चाहता है. वह हमेशा अपने खेत से अच्छी पैदावार चाहता है. इसके लिए खेतों में फसलों का परिवर्तन करना आवश्यक है. यदि किसान फसल चक्र को ध्यान में रखकर खेती करता है तो खेत के मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है, पर्यावरण में भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है. साथ ही भूमि के निचली सतह से पोषक तत्वों का फसल की जड़ों द्वारा तेजी से अवशोषण किया जाता है. इससे पौधों के वृद्धि और विकास को मदद मिलती है. इसके साथ अलग-अलग फसलों की बुआई करने से पहले खेतों की तैयारी भी अलग- अलग तरीके से करनी होती है. जिससे अनावश्यक रूप से उगने वाले खरपतवार के उगने की संभावना कम होती है. उत्पादन क्षमता में वृद्धि होने से किसानों की आय में वृद्धि देखने को मिलती है.

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