इस साल सामान्य से अधिक बारिश देखी गई है. कई इलाकों में बाढ़ की भी स्थिति बनी है जिसके चलते लाखों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई. इसके अलावा पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने दक्षिण भारत के कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में तैयार कपास की फसल के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. जबकि हाल के हफ्तों में हुई अधिक बारिश ने महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी पैदावार को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. व्यापारियों का मानना है कि आवक में देरी होने की संभावना है साथ ही दशहरा के बाद स्थिति स्पष्ट होगी.
द ट्रिब्यून के अनुसार रायचूर के एक सोर्सिंग एजेंट रामानुज दास बूब ने बातचीत के दौरान कहा कि पिछले 4-5 दिनों में तेलंगाना और कर्नाटक के कई इलाकों, जैसे यादगीर, शाहपुर और जेवरगी, में भारी बारिश हुई है. इसका सीधा असर कपास की खड़ी फसलों पर देखा गया है. हालांकि अभी इसके असर का आकलन करना जल्दबाजी होगी, लेकिन मौजूदा मौसम की परिस्थितियां खड़ी फसल के लिए चुनौती बन रही हैं और आवक में देरी हो सकती है.
उत्पादकों के लिए, बारिश से पैदावार पर असर पड़ सकता है, हालांकि घरेलू मिलों की कम मांग के बीच वैश्विक रुझान की तरह ही कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. कपास की रोजाना आवक लगभग 30,000 गांठ है, और कच्चे कपास या कपास की कीमतें नमी की मात्रा के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में ₹5,600-7,500 प्रति क्विंटल के आसपास हैं. कच्चे कपास की कीमतें मध्यम स्टेपल के लिए ₹7,710 प्रति क्विंटल और लंबे स्टेपल के लिए ₹8,110 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य स्तर से नीचे आ गई हैं. नई फसल की आवक शुरू होने के साथ ही, कपास की कीमतें लगभग ₹4,100-4,200 प्रति क्विंटल से 10 प्रतिशत घटकर लगभग ₹3,800 के स्तर पर आ गई हैं.
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भारतीय कपास संघ के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार कपास की फसल पर लंबी बारिश का कोई असर नहीं दिख रहा है. शुरुआती बुवाई वाले क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा बारिश से प्रभावित हो सकता है, लेकिन 90 प्रतिशत क्षेत्र को लाभ होगा. जलगांव में खानदेश जिन प्रेस एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में लगभग 10-15 प्रतिशत बारिश का स्थानीय स्तर पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन कुल फसल पर इसका असर पड़ने की संभावना नहीं है. वहीं अकोला के एक ब्रोकर अरुण खेतान ने कहा कि विदर्भ क्षेत्र में फसल पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि अब मौसम साफ होने लगा है. इसी के साथ आवक में देरी होने की संभावना भी जताई है.
इस बीच एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने बुधवार को भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से बाजार में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया क्योंकि कीमतें एमएसपी स्तर से नीचे चल रही हैं. पंजाब में कच्चे कपास की कीमतें ₹5,600-5,800 प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं. कपास की बुवाई समाप्त हो चुकी है और 2025 खरीफ के दौरान कुल रकबा पिछले वर्ष के 112.48 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2.53 प्रतिशत घटकर 109.64 लाख हेक्टेयर रह गया है.