
कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने की चाह में किसान कई तरह के रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं. फसलों को कीट-पतंग, खरपतवार, बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. ये रासायनिक कीटनाशक कुछ समय के लिए तो फसलों को कीटों से बचा देते हैं लेकिन खेत की जमीन को नुकसान भी पहुंचाते हैं. हालांकि कीटनाशक के प्रयोग के बिना खेती करना संभव भी नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी जानकारी होना जरूरी है.
क्या आप जानते हैं कि सभी कीटनाशक में हानिकारक तत्वों की मात्रा अलग-अलग होती है. कीटनाशक कितने खतरनाक हैं, इसकी पहचान के लिए कीटनाशकों की बोतल और पैकेट पर अलग-अलग रंग के त्रिकोणीय निशान छपे होते हैं. जान लीजिए इससे जुड़ी पूरी डिटेल-
लाल रंग
अगर कीटनाशक की बोतल पर लाल रंग का निशान छपा है तो इसका मतलब कि यह सबसे खतरनाक कीटनाशक है. फसलों पर इसकी बहुत कम मात्रा का प्रयोग किया जाता है. लाल रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर सबसे अधिक होता है. अब अगर किसी कीटनाशक के पैकेट के पीछे लाल रंग का लोगो है तो यह सबसे तेज कीटनाशक माना जाता है.
पीला रंग
लाल रंग के बाद पीले रंग को खतरनाक लेवल के मामले में दूसरे नंबर पर माना जाता है. पीले रंग के निशान वाले कीटनाशक दूसरे सबसे खतरनाक श्रेणी के कीटनाशक हैं, इनका इस्तेमाल पैकेट पर लिखि विधि और मात्रा और कृषि विशेषज्ञों की सलाह के हिसाब से ही करना चाहिए.
नीला रंग
कीटनाशक के पैकेट का रंग अगर नीला होता है तो ये लाल और पीले रंग से कुछ कम खतरनाक होता है. इसकी तीव्रता मध्यम होती है. तीव्रता के आधार पर किसानों को कीटनाशक प्रयोग करने की सलाह दी जाती है.
हरा रंग
जिस पैकेट का रंग हरा होता है. उसकी तीव्रता सबसे कम होती है यानी ये खेती के लिए लाल, पीले और नीले की तुलना में सेफ माना जाता है.
हालांकि एक बात का जरूर ध्यान रखें. खेत में किस कीटनाशक का प्रयोग कितना करना है, ये पैकेट या बोतल पर लिखा हुआ होता है और अगर नहीं लिखा हुआ है तो आप खेत में कीटनाशक प्रयोग करने से पहले कृषि एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.