CIRG मथुरा देता है बकरी और भेड़ पालन की ट्रेनिंग, 756 एकड़ में फैला है कैंपस

CIRG मथुरा देता है बकरी और भेड़ पालन की ट्रेनिंग, 756 एकड़ में फैला है कैंपस

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में भेड़-बकरी पालन की फील्ड ट्रेनिंग देने के लिए बरबरी, जमनापरी, जखराना नस्ल के बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल  की भेड़ रखी गई हैं. भेड़-बकरी के ब्रीड पर भी यहां काम होता है. 

बकरी का प्रतीकात्मक फोटो.बकरी का प्रतीकात्मक फोटो.
नासि‍र हुसैन
  • Noida ,
  • Mar 08, 2023,
  • Updated Mar 08, 2023, 6:40 AM IST

भेड़-बकरी को कैसे पालना है. कितनी उम्र पर कौनसा और कितना चारा देना है. बीमारी से बचाने के लिए कब-कौन से टीके लगने हैं. मौसम के हिसाब से बकरियों का शेड कैसा हो. कैसे मिल्क और मीट प्रोडक्शन बढ़ेगा. इस सब के बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) मथुरा ट्रेन‍िंग देता है, ज‍िसका कैंपस 756 एकड़ में फैला हुआ है. सीआईआरजी की चार अलग-अलग डिवीजन बकरी और भेड़ पालन की साइंटि‍फिक तरीके से ट्रेनिंग देती हैं. साथ ही गोट फार्म खोलने में मदद करते हुए सीआईआरजी प्योर ब्रीड के बकरे और बकरी भी उपलब्धं कराता है.

सीआईआरजी में भेड़-बकरी पालन की साइंटि‍फिक ट्रेनिंग देने के साथ ही यहां पीएचडी (रिसर्च स्कॉलर) और पीजी के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई भी कराई जाती है. इसके लिए कई यूनिवर्सिटी ने सीआईआरजी के साथ समझौता किया हुआ है. इसमे मथुरा की यूनिवर्सिटी भी शामिल है. विदेशों से डिमांड आने पर उन्हें अच्छी नस्ल के बकरे और बकरी भी उपलब्ध कराए जाते हैं. वहीं विभिन्न कार्यक्रम के तहत पशुपालकों की समय-समय पर मदद भी की जाती है. 

ये भी पढ़ें-  पुलवामा की सब्जियों का अर्थशास्त्र, एक साल में ज‍िले से बेचे गए 42 करोड़ के लहसुन-मटर

43 साल पुराना है 756 एकड़ में फैला सीआईआरजी 

सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि हमारा संस्थान 756 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. यह मखूदम गांव में फरह, मथुरा में स्थित है. यहां बरबरी, जमनापरी, जखराना नस्ल  के बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ पालन की ट्रेनिंग दी जाती है. हमारे संस्थान में तीनों ही नस्ल के बकरे-बकरी के साथ ही भेड़ भी मौजूद है. समय-समय पर भेड़-बकरी पर रिसर्च भी होती रहती है. भेड़-बकरी पालन की अलग-अलग बैच बनाकर ट्रेनिंग भी दी जाती है. हमारी बेवसाइट पर इसकी पूरी जानकारी दी जाती है. 

ये भी पढ़ें- सूखी मछली की इंटरनेशनल मार्केट में है बहुत डिमांड, लेकिन देश में सुखाने के पुराने हैं तरीके 

यह हैं भेड़-बकरी पालन की ट्रेनिंग देने वाली चार डिवीजन 

मनीष कुमार चेटली ने बताया कि हमारे संस्थान में चार डिवीजन है. यह सभी डिवीजन मिलकर भेड़-बकरी पालन की ट्रेनिंग देती हैं. एनीमल जेनेटिक ब्रीडिंग, न्यूट्रीशन और प्रोडक्ट टेक्नो‍लॉजी, एनीमल हैल्थ और फिजियोलॉजी एंड रीप्रोडक्शन डिवीजन. इसमे से एनीमल जेनेटिक ब्रीडिंग डिवीजन भेड़-बकरी की नस्ल सुधार पर काम करती है. 

न्यूट्रीशन और प्रोडक्टह टेक्नोलॉजी डिवीजन भेड़-बकरी के चारे और उनसे मिलने वाले दूध, मीट, ऊन और फाइबर आदि पर काम करती है. एनि‍मल हैल्थ डिवीजन बकरियों की बीमारी के समाधान और रोकथाम पर काम करती है, जबकि फिजियोलॉजी एंड रीप्रोडक्शडन डिवीजन भेड़-बकरियों की संख्या बढ़ाने पर काम करती है. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक की मदद से भेड़-बकरियों का कुनबा बढ़ाने की कोशिश होती है. 

ये भी पढ़ें-

फूड आइटम बनाने वाली हर मशीन को लेना होता है सीफेट का सर्टिफिकेट, जानें क्या है यह 

जलवायु परिवर्तन: अब खेती में हर काम के लिए जरूरी है मशीन, जानें एक्सपर्ट ने क्यों कहीं ये बात  

MORE NEWS

Read more!