केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश करने जा रही हैं, यह लगातार उनका आठवां बजट होने वाला है. इस बार कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के लिए अधिक राशि आवंटन की उम्मीद की जा रही है. एक्सपर्ट का कहना है कि इस बजट में दलहन, तिलहन मिशन के साथ ही ऑर्गनिक और नेचुरल फार्मिंग के साथ ही क्लाइमेट से निपटने के लिए खास बजट अलॉट होने की उम्मीद की जा रही है. पिछली बार कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था और उससे यह रकम 1.47 लाख करोड़ रुपये थी. इस बार कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन 1.60 लाख करोड़ के पार होने की संभावना है.
1 फरवरी को बजट पेश होने से पहले 31 जनवरी को इकनॉमिक सर्वे पेश किया जाएगा. इकनॉमिक सर्वे के जरिए सरकार देश का लेखाजोखा पेश करती है यानी इकनॉमिक सर्वे के आंकड़े सामने रखती है. यह सर्वे बेहद महत्वपूर्ण होता है और यह स्पष्ट करता है कि देश की सेहत कैसी है. आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ग्रोथ ट्रेंड और किस सेक्टर से कितनी कमाई हुई और योजनाओं पर कितना खर्च हुआ और उन्हें कैसे लागू किया गया यह बताती है. आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर यह अनुमान लगा लिया जाता है कि देश का बजट कैसा होने वाला है.इस बार 31 जनवरी को भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी अनंथा नागेश्वरन संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश करने के बाद दोपहर 2.30 प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को बजट संसद के पटल पर रखेंगी. 11 बजे उनका बजट भाषण शुरू होगा. वह विभिन्न योजनाओं के अनुमानित खर्च और आमदनी का ब्योरा जारी करेंगी. केंद्रीय मंत्री विभिन्न मंत्रालयों जैसे शिक्षा, रक्षा, स्वास्थ्य आदि की प्रगति रिपोर्ट देंगी और अगले वित्त वर्ष में इन मंत्रालयों के लिए जारी की जाने वाली अनुमानित रकम का खुलासा भी करेंगी. हर साल केंद्र सरकार अपने विभागों और मंत्रालयों के लिए बजट के जरिए खर्च और कमाई की रूपरेखा तय करती है. योजनाओं के लिए जरूरी रकम जारी करती है और उनके लिए बजट तय किया जाता है. ठीक इसी तरह एग्रीकल्चर बजट यानी कृषि बजट के लिए योजनाओं और विकास के लिए बजट तय किया जाएगा.
एग्रीकल्चर बजट का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है. सरकार कृषि क्षेत्र की कई योजनाओं को किसानों, ग्रामीणों तक पहुंचाने के अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए एग्रीकल्चर बजट के तहत आमदनी और खर्च की जाने वाली रकम निर्धारित करती है.
एग्रीकल्चर बजट मुख्य रूप से 4 बिंदुओं पर आधारित होता है या यूं कह लें कि इसके 4 मुख्य हिस्से होते हैं-
सरकार आमतौर पर इन्हीं हिस्सों को आधार बनाकर एग्रीकल्चर बजट तय करती है और योजनाओं के लिए रकम अलॉट करती है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछला बजट 23 जुलाई 2024 को पेश किया था. वित्तमंत्री ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश का कुल अनुमानित बजट 48.21 लाख करोड़ रुपये का पेश किया था. उससे पहले यानी वित्त वर्ष 2023-24 में 47.65 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था. वित्तमंत्री ने विकसित भारत के लक्ष्य के तहत ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. शहरी विकास के लिए 82,577 करोड़ रुपये और सामाजिक कल्याण के लिए 56,501 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. वहीं, कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है, पहले यह रकम 1.47 लाख करोड़ रुपये थी.
अब आगामी 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाला बजट 50 लाख करोड़ राशि को पार कर सकता है. उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री कृषि के लिए भी बजट को बढ़ा सकती हैं.