दिवाली का त्यौहार भाई दूज के साथ समाप्त होता है. यह दिन भाई-बहन के मजबूत रिश्ते और प्यार का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. बदले में, भाई अपनी बहनों को प्यार की निशानी के रूप में उपहार देते हैं. भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार भाई दूज की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति है. आइए आपको बताते हैं कि भाई दूज कब मनाया जाएगा, इस दिन की शुरुआत कैसे हुई और तिलक आदि से जुड़ी सारी जानकारी.
कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:36 बजे शुरू हो रही है और 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01:47 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार भाई-बहन का त्योहार भाई दूज 15 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा. भाई दूज पर बहनें राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय अपने भाई को तिलक लगा सकती हैं. लेकिन अगर सबसे अशुभ समय की बात करें तो वह सुबह 06:44 से 09:24 तक है. इस दिन राहुकाल दोपहर 12:03 से 01:24 बजे तक रहेगा.
ये भी पढ़ें: Bhai Dooj 2023: 14 या 15 नवंबर, इस साल कब मनाया जाएगा भाई दूज? जानें पूजा विधि मुहूर्त और इसका महत्व
मान्यताओं के अनुसार भाई-बहन के इस त्योहार की शुरुआत यमुना जी ने की थी. यमराज और यमुना दोनों सूर्य देव की संतान हैं. यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे. एक बार उन्हें अपनी बहन की बहुत याद आ रही थी. उसे देखे हुए काफी समय हो गया था. तभी अचानक वह बहन यमुना के घर पहुंच गए. अपने भाई को देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई. उसने अपने भाई के स्वागत के लिए बहुत से व्यंजन बनाए. जब वह जाने लगे तो यमुना ने उसके माथे पर तिलक लगाया, मिठाई खिलाई और नारियल भेंट किया. इसके बाद यमराज ने अपनी बहन से उपहार स्वरूप उनसे कोई वरदान मांगने को कहा.
इसके बाद यमुना जी ने कहा कि भाई मेरे पास तो सब कुछ है, बस आपसे एक प्रार्थना है कि आप हर साल इस दिन कम से कम एक बार मेरे घर आया करें. जिसपर यमराज ने हाँ कहा था. साथ ही कहा कि इस दिन सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे अपने माथे पर तिलक लगवाता है, यमराज उस भाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं. इनके जीवन की हर परेशानी दूर हो जाएगी.