मधुमक्खी से केवल मीठा शहद ही नहीं प्राप्त होता है बल्कि उसके जहर से कई गंभीर बीमारियों का इलाज भी होता है. मधुमक्खी के डंक से निकला जहर गठिया जैसी बड़ी बीमारी के लिए फायदेमंद माना गया है. वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है कि मधुमक्खी के डंक के जहर के साथ एक रासायनिक तत्व मिलाने से यह बीमारी ठीक भी हो सकती है. इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक ग्राम बी-वेनम की कीमत 10 से 15000 रुपये तक मिलती है जो कि सोने से भी ज्यादा कीमती है. विश्व के कई देशों में मधुमक्खी के डंक से होने वाले फायदों पर शोध कार्य किया जा रहा है.
सेंट्रल बी रिसर्च इंस्टीट्यूट पुणे के निदेशक डॉ.आर. के सिंह ने बताया कि मधुमक्खी का शहद ही नहीं बल्कि इससे मिलने वाले प्रत्येक पदार्थ का मानव जीवन के लिए उपयोग है. मधुमक्खी के रॉयल जेली की मदद से तो एड्स जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए दवाइयां भी तैयार की जाती हैं.
प्राचीन समय से ही ऐपीथेरेपी का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जा रहा है. मधुमक्खी का जहर गठिया,
स्केलेरोसिस, ल्यूपस, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और टेनिस एल्बो जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग होता है. डंक के जहर से मानव शरीर को इन बीमारियों से ठीक करने में सहायता मिलती है. मधुमक्खी के जहर में कई एंजाइम, पेप्टाइड सहित कम से कम 18 औषधिय घटक होते हैं. वही ऐसा माना जाता है कि मधुमक्खी का जहर का मानव उपचार के लिए सुरक्षित है.
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भारत में मधुमक्खी पालन से न सिर्फ किसानों की कमाई बढ़ी है बल्कि मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में महिलाओं की सक्रियता भी बढ़ी है जिससे वे आत्मनिर्भर हो रही हैं. मधुमक्खी से जुड़ी हुई कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं. मधुमक्खी से जुड़ी हुई रोचक जानकारी.