लंपी की वजह से फीका रहा बैल पोला, जान‍िए क्यों मनाया जाता है यह त्योहार 

लंपी की वजह से फीका रहा बैल पोला, जान‍िए क्यों मनाया जाता है यह त्योहार 

नांदेड़ ज‍िला प्रशासन ने बैल पोला त्योहार के दौरान जिले के सभी तहसीलों में मवेशियों के इकट्ठा होने पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया था. क्योंक‍ि लंपी रोग संक्रमण से फैलता है. खेती में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले जानवर बैल को सम्मान देने के ल‍िए उनकी पूजा करने के लिए इस दिन को मानते हैं.

लंपी के चलते फीका रहा इस बार बैल पोला त्योहार लंपी के चलते फीका रहा इस बार बैल पोला त्योहार
कुअरचंद मंडले
  • Nanded ,
  • Sep 15, 2023,
  • Updated Sep 15, 2023, 5:48 PM IST

मेहनतकश किसानों के साथी बैलों के ल‍िए मशहूर बैल पोला पोला त्योहार इस साल खेतों में मनाया गया है, लंपी बीमारी के कारण ऐसा हुआ है. लंपी प्रभाव‍ित नांदेड़ में पारंपरिक तरीके से गांव में बैलों का जुलूस निकालने पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है. इसलिए किसानों ने खेत में बैलों की पूजा कर पोला त्योहार मनाया. हर साल किसान पोला त्यौहार अच्छे से मनाते हैं लेक‍िन इस बार लंपी के प्रभाव से यह फीका हो गया. साल भर खेतों में काम करने वाले बैलों को स्नान करवाकर, सजाकर, उनकी तिलक लगाकर पूजा करके और पूरन पोली खिलाकर इसका जश्न मनाया जाता है. इस द‍िन क‍िसान बैलों से काम नहीं लेते हैं. खेती में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले जानवर बैल को सम्मान देने के ल‍िए उनकी पूजा करने के लिए इस दिन को मानते हैं.

कोरोना के बाद अब बैल पोला के समय लंपी बीमारी के चलते किसान थोड़े उदास दिखे. क्योंक‍ि वो पहले की तरह गांवों के अंदर इस त्योहार को नहीं मना सके. उधर, क्षेत्र में पोला त्योहार के दिन लंपी की वजह से किसान के एक बैल ने दम तोड़ द‍िया. उसके बाद गांव के लोगों ने बैल को सजाया और गाजे-बाजे के साथ शवयात्रा निकालकर खेत में दफन कर द‍िया. कुल म‍िलाकर इस बार यह त्योहार फीका रहा. 

बैल पोला नहीं मनाने का था आदेश 

क‍िसान बैल पोला त्योहार का पूरे साल इंतजार करते हैं. इस द‍िन बैलों को पूरे साल खेती में साथ देने के ल‍िए उन्हें धन्यवाद द‍िया जाता है. इसल‍िए उन्हें नहलाकर सजाया जाता है और पूरन पोली ख‍िलाई जाती है. फ‍िलहाल, इस बार त्योहार पर लंपी का संकट रहा. पहले से ही मवेशियों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है और अब लंपी ने क‍िसानों की च‍िंता बढ़ा दी है. इस वजह से प्रशासन ने बैल पोला नहीं मनाने का आदेश जारी किया था. इसल‍िए कई जगहों पर क‍िसानों ने इस त्योहार को खेतों में मनाया. 

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क्यों बैल पोला मनाने पर लगी थी रोक 

पशु संक्रमण और संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 2009 के अनुसार, बैल पोला त्योहार के दौरान जिले के सभी तहसीलों में मवेशियों के इकट्ठा होने पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया गया था. जिला कलेक्टर अभिजीत राउत ने आदेश जारी किया था कि सभी पशुपालक और किसान 14 सितंबर को खेत में बैल पोला त्योहार मनाएं. नांदेड़ जिले के कुल 16 तहसीलों में लंपी से पशु संक्रमित पाए गए हैं. साथ ही मवेशियों की मृत्यु दर भी बढ़ रही है. ऐसे में यह आदेश जारी क‍िया गया था. 

क‍ितने पशुओं की हो चुकी है मौत 

लंपी से छह माह में 6500 पशु संक्रमित हुए हैं जबक‍ि 751 पशुओं की मौत हुई है. अभी 1233 पशुओं का इलाज चल रहा है.  ज‍िनमें से 15 पशु गंभीर हैं, बताया गया है क‍ि लंपी रोग से पीड़ित 5700 पशु ठीक हो चुके हैं. इसलिए जिला प्रशासन ने बैल पोला त्योहार के अवसर पर गोजातीय पशुओं के जमावड़े पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया था. क्योंक‍ि इसमें संक्रमण बहुत खतरनाक होता है. इस कारण किसानों ने खेतों में ही बैल पोला त्योहार मनाया.

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