Vermiwash Benefits: क्या है वर्मीवाश, इससे कैसे बढ़ेगा फसलों का उत्पादन, जानिए सबकुछ

Vermiwash Benefits: क्या है वर्मीवाश, इससे कैसे बढ़ेगा फसलों का उत्पादन, जानिए सबकुछ

फसलों एवं सब्जियों में विभिन्न रोगों एवं कीटों की रोकथाम के लिए प्राकृतिक रोग रोधक एवं जैव कीटनाशक के रूप में भी वर्मीवाश का प्रयोग किया जा सकता है. वैज्ञान‍िकों का दावा है क‍ि इसके प्रयोग से 10-15 फीसदी तक उत्पादन बढ़ जाता है. इससे उपज पर किसी तरह का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता.

Vermiwash liquid organic fertilizerVermiwash liquid organic fertilizer
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Jan 17, 2024,
  • Updated Jan 17, 2024, 10:14 AM IST

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का खूब प्रयोग किया जाता है. अब वर्मीवाश के प्रयोग से भी फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा. रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के तौर पर प्रयोग की जा रही केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) से ही वर्मीवाश तैयार किया जाता है. से किसान कम लागत में तैयार कर सकते हैं. कृष‍ि वैज्ञान‍िक दीक्षा मिश्रा, प्रतीक सिंह और आकाश ने अपनी एक र‍िपोर्ट में इसे पर्यावरण हितैषी बताया है. इसके उपयोग से किसान उत्तम गुणवत्तायुक्त उपज प्राप्त कर सकते हैं.  इसे फसलों एवं सब्जियों में विभिन्न रोगों एवं कीटों की रोकथाम के लिए प्राकृतिक रोग रोधक एवं जैव कीटनाशक के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. इन वैज्ञान‍िकों का दावा है क‍ि इसके प्रयोग से 10-15 फीसदी तक उत्पादन बढ़ जाता है. इससे उपज पर किसी तरह का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता. 

आईए अब जानते हैं क‍ि वर्मीवाश है क्या. इन तीनों वैज्ञान‍िकों ने बताया है क‍ि वर्मीवाश एक ल‍िक्व‍िड जैविक खाद है. यह केंचुओं द्वारा स्रावित हार्मोन, पोषक तत्वों एवं एंजाइमयुक्त होती है. इसमें रोगरोधक गुण और पोषक तत्व घुलनशील रूप में उपस्थित होते हैं और पौधों को आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. इसमें घुलनशील नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश मुख्य पोषक तत्व होते हैं. इसके अलावा इसमें हार्मोन जैसे ऑक्सीजन एवं साइटोकाइनिन, विटामिन, अमीनो अम्ल और विभिन्न एंजाइम जैसे-प्रोटीएज, एमाइलेज, यूरीएज एवं फॉस्फेटेज भी पाए जाते हैं. 

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वर्मीवाश के लाभ

  • इसके प्रयोग से पौधे की अच्छी वृद्धि.
  • जल की लागत में कमी तथा अच्छी खेती.
  • पर्यावरण को बनाता है स्वस्थ.
  • कम लागत पर भूमि की उर्वराशक्ति में वृद्धि.
  • मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में वृद्धि.
  • इसके उपयोग से पौध रक्षक दवाइयां कम लगती हैं, जिससे उत्पादन लागत में कमी.
  • मृदा की जलग्रहण शक्ति में बढ़ोतरी.
  • इससे उत्पादित उत्पाद स्वादिष्ट.
  • इसके उपयोग से ऊर्जा की बचत.

उपयोग की विधि

  • एक लीटर वर्मीवॉश में 7-10 लीटर पानी मिलाकर पत्तियों पर शाम के समय छिड़काव करना चाहिए.
  • एक लीटर वर्मीवॉश और एक लीटर गौमूत्र को 10 लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर इसे रातभर के लिये छोड़ दें. ऐसे 50-60 लीटर वर्मीवॉश का छिड़काव एक हैक्टर क्षेत्र में फसलों में विभिन्न रोगों की रोकथाम के ल‍िए करें.
  • ग्रीष्मकालीन सब्जियों में शीघ्र पुष्पण एवं फलन के लिए पर्णीय छिड़काव करें, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है.
  • टमाटर की पत्तियों और तनों परः टमाटर के पौधों पर वर्मीवॉश का छिड़काव किया जाता है। इससे न केवल तने की लंबाई और पौधों की पत्तियों की संख्या में वृद्धि होती है, बल्कि पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है.

बैंगन के पौधों पर उपयोग 

वर्तमान अध्ययन में बैंगन के पौधों के रोग, वृद्धि और उत्पादकता पर वर्मीवॉश का मूल्यांकन किया गया. परिणाम बताते हैं कि इसके छिड़काव ने विकास (पौधे की ऊंचाई और पत्तियों की संख्या) और उपज मापदंडों (फूलों और फल प्रति पौधे की संख्या) को बढ़ाया है. इसके अतिरिक्त फूलों और फल के अनुपात में काफी वृद्धि हुई है. पौधों में महत्वपूर्ण वृद्धि और उनकी उपज वर्मीवॉश में उपलब्ध लघु और सूक्ष्म पोषक तत्वों के उच्च स्तर की वजह से है.

मेथी पर किया गया प्रयोग 

वर्तमान जांच में मेथी के बीज अंकुरण पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है. यह मेथी के बीज अंकुरण प्रदर्शन में सुधार के साथ मृदा को फायदा पहुंचाता है. इसके अतिरिक्त इसमें लाभकारी रोगाणु और आवश्यक पोषक तत्व शामिल होते हैं. ये तत्व इसे जैविक खेती के लिए बेहतर विकल्प बनाते हैं.

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