हरियाणा में कपास के बाद अब गन्ने की फसल में नई बीमारी लग गई है. इससे फसल को काफी नुकसान पहुंच रहा है. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते इस बीमारी को नहीं रोका गया, तो किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. कहा जा रहा है कि इस बीमारी की चपेट में आने से 200 एकड़ से अधिक जमीन में लगी गन्ने की फसल प्रभावित हुई है. हालांकि, कृषि उपनिदेशक का कहना है कि पीड़ित किसान फसल को बचाने के लिए ड्रोन की मदद से दवाई का छिड़काव कर सकते हैं. इससे बीमारी के फैलाव पर ब्रेक लगेगा.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अंबाला जिले के नारायणगढ़ और शहजादपुर क्षेत्र के किसानों को गन्ने के खेत में 'टॉप बोरर रोग' का असर देखने को मिल रहा है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, लगभग 250 एकड़ में गन्ने की फसल इस रोग से प्रभावित हुई है. सबसे अधिक प्रभावित किस्म सीओ 0238 है, जिसकी खेती बड़े क्षेत्र में की गई है. किसानों के अनुसार, टॉप बोरर कीट गन्ने की वृद्धि को प्रभावित करता है और रोग को नियंत्रित करने के लिए किसानों द्वारा किए गए स्प्रे से उत्पादन की लागत बढ़ गई है.
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हसनपुर गांव के गन्ना किसान राजीव कुमार ने कहा कि टॉप बोरर गन्ने के लिए हानिकारक है, क्योंकि यह गन्ने और उसके विकास को नुकसान पहुंचाता है. मेरी लगभग चार एकड़ गन्ने की फसल टॉप बोरर कीट से प्रभावित हुई है. चूंकि फसल अच्छी ऊंचाई पर पहुंच गई है, इसलिए गन्ने पर स्प्रे का उपयोग करना मुश्किल था. इस बीमारी ने नारायणगढ़ और शहजादपुर के कई गांवों में गन्ने की फसल को प्रभावित किया है.
इस बीच, कृषि उपनिदेशक डॉ. जसविंदर सिंह सैनी ने कहा कि टॉप बोरर ने नारायणगढ़ और शहजादपुर क्षेत्रों में लगभग 250 एकड़ गन्ने की फसल को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि अगर फसल में रोग बढ़ गया है तो किसान ड्रोन का इस्तेमाल कर दवा का छिड़काव कर सकते हैं. हालांकि, किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बीमारी नियंत्रण में है. वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि किसान कीट को नियंत्रित करने के लिए क्लोरेंट्रनिलीपरोले रसायन 18.5 प्रतिशत और एसएससी 150 एमएल दवा का 400 लीटर पानी में घोल तैयार कर लें. फिर इसका छिड़काव करें. इससे रोग नियंत्रित रहेगा.
बता दें कि पिछले महीने खबर सामने आई थी कि हरियाणा में कपास उत्पादक किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उनकी फसल को गुलाबी सुंडी और बहुत अधिक गर्मी की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. इसके चलते हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों के कपास बेल्ट में किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
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