
रबी सीजन में जौ की खेती भी बड़े स्तर पर की जाती है. यही वजह है कि किसानों के बीच जौ की नई किस्म BH-393 तेजी से लोकप्रिय हो रही है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जौ की यह किस्म का न केवल उत्पादन बहुत अच्छा है बल्कि इसकी रोगों के प्रति सहनशीलता ज्यादा है. इसके साथ ही कम लागत वाली खेती के लिहाज से भी BH-393 किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. यही वजह है कि आज हम आपको जौ की नई किस्म BH-393 का खासियतें बता रही हैं.
अगर कोई किसान गेहूं के अलावा वैकल्पिक रबी फसल अपनाना चाहता है, तो उनके लिए BH-393 एक सुरक्षित और लाभकारी, कम लागत और हाई डिमांड वाली फसल है. इस किस्म के खेती करने से किसान को बेहतर दाम मिलते हैं क्योंकि इसे माल्टिंग उद्योग में प्राथमिकता मिलती है. कम लागत और समय में तैयार होने से यह उन किसानों के लिए भी सुविधाजनक है जिनके पास सिंचाई या संसाधन सीमित हैं.
कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों का कहना है कि जौ की BH-393 किस्म किसानों को फसल विविधीकरण (crop diversification) में मदद करेगी. विशेषज्ञों के मुताबिक इससे एक ओर किसानों की गेहूं पर निर्भरता कम होगी और दूसरी ओर बाजारों में माल्ट जौ की बढ़ती मांग का फायदा भी किसानों को मिल सकता है.
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