सितंबर का महीना धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. इसके साथ ही मॉनसून सीजन भी अपने अंतिम चरण की ओर अग्रसर है. इस दौरान धान की फसलों में रोगों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. बिहार कृषि विभाग ने सितंबर माह में किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है. विभाग ने अपनी एक सलाह में धान की फसल में होने वाले खैरा रोग और गंधी कीट प्रकोप से बचाव के उपाय सुझाए हैं. साथ ही, इस डिजिटल दौर में कृषि ऐप के माध्यम से किसानों को समय-समय पर खेती से जुड़ी जानकारी मुहैया करा रहा है.
धान की फसल में लगने वाले खैरा और गंधी रोग दोनों अलग-अलग हैं. खैरा रोग के दौरान धान के पौधों की निचली पत्तियों पर भूरे-कत्थई रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो पौधों के विकास को रोक देते हैं. इस रोग के कारण पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. दूसरी ओर, गंधी रोग में धान की पत्तियों पर हरे-भूरे या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में सूखकर भूरे-काले हो जाते हैं. गंभीर स्थिति में पूरी पत्ती सूख जाती है, जिसका असर फसल की पैदावार पर पड़ता है. प्रभावित पौधों से हल्की गंध भी आती है.
कृषि वैज्ञानिकों ने खैरा रोग और गंधी रोग को लेकर सलाह दी है कि खैरा रोग की रोकथाम के लिए किसानों को 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 2.5 किलोग्राम बुझा हुआ चूना के साथ मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए. इसके लिए प्रति हेक्टेयर औसतन 500 लीटर पानी का उपयोग करना चाहिए. वहीं, गंधी कीट के प्रकोप की स्थिति में मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत या मालाथियॉन 5 प्रतिशत को 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय भुरकाव करना चाहिए. साथ ही, धान के खेत में 5 सेंटीमीटर पानी का स्तर बनाए रखना चाहिए.
इसके अलावा, कृषि वैज्ञानिकों ने सितंबर माह के अंत तक मिर्च की बुआई करने की सलाह दी है, क्योंकि इस समय बुआई करने से बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है और पौधों की मजबूती और क्वालिटी बनी रहती है.
कृषि विभाग ने किसानों के हित में कृषि ऐप शुरू किया है. इसके माध्यम से किसान सभी सरकारी योजनाओं, फसल प्रबंधन, बाजार मूल्य, और तकनीकी सलाह जैसी आवश्यक सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर प्राप्त कर सकते हैं. यह मोबाइल ऐप किसानों के लिए एकीकृत योजना पोर्टल के रूप में काम करता है, जहां किसान ऐप के माध्यम से विभिन्न कृषि योजनाओं में आवेदन कर सकते हैं और उनकी स्थिति, अनुदान विवरण और स्वीकृति की वास्तविक समय पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.