राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और बैंगलोर के एक एनजीओ ‘सस्टेन प्लस’ ने एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है. दोनों मिलकर सर्कुलर डेयरी कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं, इस प्राेग्राम के तहत दोनों उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार सहित देश के 15 राज्यों में 10,000 बायोगैस प्लांट लगाएंगे. कार्यक्रम का शुभारंभ पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की ओर से नई दिल्ली में आयोजित 'डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और परिपत्रता पर कार्यशाला' में किया गया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे.
सर्कुलर डेयरी कार्यक्रम के माध्यम से सरकार जलवायु-स्मार्ट डेयरी गांव बनाने और देशभर में स्केलेबल (विस्तार योग्य) और टिकाऊ खेती के तरीकों को तैयार करना है. NDDB और सस्टेन प्लस को अगले चार सालों में 15 राज्यों में लगाए जाने वाले 10,000 बायोगैस डाइजेस्टर से सालाना 3 लाख टन जैविक घोल बनने की उम्मीद है. यह घोल मिट्टी की सेहत में सुधार लाएगा और रासायनिक खादों की जरूरत में कमी आएगी. ये प्लांट्स हर साल 7 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा बायोगैस तैयार करेंगे. जिससे गांव में रहने वाले 10,000 परिवारों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन मिलेगा.
उक्त फायदों के अलावा, इस प्राेग्राम से हर साल लगभग 60,000 टन फॉस्फेट युक्त जैविक खाद (PROM) बनेगी. यह खाद रासायनिक फॉस्फेट खाद की समान मात्रा को रिप्लेस कर इसकी जगह लेगी, जिससे सस्ती और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. इस प्रोग्राम से डेयरी किसानों को सीधे फायदा होगा और उन्हें बेहतर खाद प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने और बेहतर डेयरी बुनियादी ढांचे के लिए मदद मिलेगी.
यह प्राेग्राम बायोगैस प्लांट्स, सौर ऊर्जा से चलने वाले डेयरी संचालन और कुशल दूध संग्रह प्रणालियों को साथ जोड़कर, इनपुट लागत को कम करने में मदद करेगा. साथ ही डेयरी किसानों के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने, गांव में रहने वाले परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के लिए ईंधन देने और जैविक खाद और कार्बन क्रेडिट के जरिए आय के नए अवसर पैदा करने में मदद करेगा.
एनजीओ सस्टेन प्लस के डायरेक्टर गणेश नीलम ने कहा कि साल 2021 से, एनडीडीबी के साथ हमारी साझेदारी ने ‘गोबर अर्थव्यवस्था’ को मजबूत किया है और इसका विस्तार करके डेयरी वैल्यू चेन को एकीकृत करने की क्षमता का निर्माण करके दिखाया है. नीलम ने कहा कि NDDB के साथ हमारा नए प्रोजेक्ट का उद्देश्य डेयरी किसानों, खासकर महिलाओं को भोजन बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन और मिट्टी को समृद्ध करने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर बायो-स्लरी (घोल) बनाने के लिए पहुंच प्रदान करना और सशक्त बनाना है. उन्होंने कहा कि हमने 15 राज्यों में 26 से ज्यादा दूध संघों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoU) साइन किए हैं.