किसानों के बीच सरसों की खेती काफी लोकप्रिय है. सरसों की अच्छी किस्म की खेती से किसानों को बेहतर उत्पादन के साथ मोटी कमाई मिल सकती है. इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के निकरा योजना अंतर्गत चयनित किसानों के मध्य सरसों के बीजों का हुआ वितरण. चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के द्वारा अंगीकृत गांव औरंगाबाद में राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि पर नवाचार के तहत प्रशिक्षण एवं सरसों के बीजों का वितरण कार्यक्रम किया गया.
इस अवसर पर राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि पर नवाचार परियोजना के तहत चयनित किसानों के बीच सरसों की 'आजाद महक' और 'RH 725' प्रजाति का वितरण किया गया. परियोजना के वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य मौसम के अनुकूल खेती करना है. जिससे किसान अधिक से अधिक लाभ हो. उन्होंने कहा कि फसलों की समय पर बुवाई अवश्य करें.
डॉ खान ने बताया कि सरसों की उन्नत किस्मों में RH 725 किस्म बुवाई के 136 से 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म के पौधे की फलियां आकार में लंबी होती हैं. वहीं सरसों का दाना मोटा होता है. जबकि सरसों की आजाद महक किस्म बुवाई के 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 24-25 क्विंटल उत्पादन दे सकती है.
बता दें कि शरद ऋतु की दस्तक के साथ रबी फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. किसान ONDC की वेबसाइट (https://www.mystore.in/en/search/nsc-mustard) पर जाकर बीजों की खरीद कर सकते हैं. सरसों की किसी भी किस्म को खरीदने से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें.