आम की फसल को चाट जाते हैं भुनगा कीट, जनवरी-फरवरी में ऐसे करें बचाव

आम की फसल को चाट जाते हैं भुनगा कीट, जनवरी-फरवरी में ऐसे करें बचाव

आम को भुनगा कीट से बचाने के लिए किसान मोनोक्रोटोफॉस नाम के रसायन की 4 मिली मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर या कार्बोरिल 0.2 परसेंट का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा बिवेरिया बेसिआना फफूंद के 0.5 परसेंट घोल या नीम तेल 3000 पीपीएम प्रति 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भुनगा से राहत मिलती है.

आम की फसल को सबसे अधिक खतरा भुनगा कीट से होता हैआम की फसल को सबसे अधिक खतरा भुनगा कीट से होता है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 17, 2023,
  • Updated Jan 17, 2023, 5:45 PM IST

आम की फसल में मंजर आने का समय आने वाला है. फरवरी मार्च आते-आते आम मंजर से लद जाएगा. ऐसे में किसान को हर उस रोग और कीट पर ध्यान रखना चाहिए जो आम को नुकसान पहुंचाते हैं. इसी में एक है भुनगा कीट. भुनका कीट आम की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. इन कीट के लार्वा और व्यस्क कीट आम की कोमल पत्तियों और फूलों का रस चूस लेते हैं जिससे पूरा पौधा ही कमजोर पड़ जाता है. एक मादा भुनगा कीट 100 से 200 अंडे देती है जो पत्तियों और मुलायम तनों में फैल जाते हैं. ये अंडे आगे चलकर लार्वा और वयस्क में तब्दील होते हैं और आम की फसल को हानि पहुंचाते हैं.

भुनगा कीट का प्रकोप जनवरी-फरवरी में शुरू हो जाता है. यही वह समय है जब आम पर मंजर लगना शुरू होता है. इसलिए, आम को भुनका कीट से बचाने का बंदोबस्त करने की सलाह दी जाती है. आम को इस कीट से बचाने के लिए किसान मोनोक्रोटोफॉस नाम के रसायन की 4 मिली मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर या कार्बोरिल 0.2 परसेंट का छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा बिवेरिया बेसिआना फफूंद के 0.5 परसेंट घोल या नीम तेल 3000 पीपीएम प्रति 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भुनगा से राहत मिलती है.

कब करें दवा का छिड़काव

किसानों को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि आम का मंजर आने के बाद किसी रसायन का छिड़काव नहीं करना चाहिए. इससे मंजर के झड़ने का खतरा रहता है. आम में सफेद चूर्णी रोग का असर भी खतरनाक होता है. इस रोग के प्रभाव से आम का संक्रमित भाग सफेद दिखाई पड़ने लगता है. इसकी वजह से मंजरियां और फूल सूखकर गिर जाते हैं. इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेड़ों पर 5 परसेंट वाले गंधक के घोल का छिड़काव करना चाहिए.

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इसके अलावा 500 लीटर पानी में 250 ग्राम कैराथेन घोलकर छिड़काव करने से भी सफेदू चूर्णी रोग से राहत मिलती है. जिन क्षेत्रों में मंजर या बौर आने के समय मौसम खराब रहा हो, वहां आम की फसल को बचाने के लिए हर हालत में सुरक्षा के उपाय किए जाने चाहिए. इसके लिए किसान 0.2 परसेंट गंधक के घोल का छिड़काव करें और यह काम जरूरत के हिसाब से दोहराते रहें.

एंथ्रेक्नोस बीमारी का प्रकोप

आम की फसल में एंथ्रेक्नोस नाम की गंभीर बीमारी भी लगती है. यह रोग अधिक नमी वाले क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है. इसका आक्रमण पौधों के पत्तों, शाखाओं और फूलों जैसे मुलायम भागों पर होता है. इस बीमारी से आम के पौधे मर भी सकते हैं. इस बीमारी के प्रभाव से पौधे का जो हिस्सा संक्रमित होता है, वहां गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं. आगे चलकर पौधा का वह हिस्सा सूखने लगता है. इससे बचाव के लिए किसान को आम के पेड़ों पर 0.2 परसेंट जिनैब का छिड़काव करना चाहिए.      

इसी तरह आम में शूट गॉल कीट का प्रभाव भी देखा जाता है. अगर इसका असर दिखे तो दिसंबर-जनवरी के महीने में गांठ से नीचे थोड़ी सी पुरानी लकड़ी के साथ काट कर जला देना चाहिए. दिसंबर-जनवरी के महीने में पुष्पक्रमों को काट देने से भी आम में शूट गॉल कीट से राहत मिलती है.

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