भारत ने शनिवार को फिजी को पांच मीट्रिक टन लोबिया के बीज की एक खेप भेजी है. माना जा रहा है कि इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रशांत साझेदार के साथ कृषि सहयोग को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा. विदेश मंत्रालय की तरफ से एक्स पर इस बारे में एक पोस्ट के जरिये जानकारी दी गई है. इसमें लिखा है कि यह भारत द्वारा भेजी गई बीजों की पहली खेप थी जिसका मकसद नई दिल्ली की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के तहत देश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना है.
विदेश मंत्रालय ने पोस्ट में कहा, 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने साझेदारों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, अपनी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के तहत, भारत अपने प्रशांत साझेदार फिजी को कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 5 मीट्रिक टन लोबिया के बीज की मानवीय सहायता भेज रहा है. बीजों की पहली खेप आज दिल्ली से फिजी के लिए रवाना हुई.' सुवा स्थित भारतीय उच्चायोग के अनुसार, भारत और फिजी के बीच संबंध आपसी सम्मान, सहयोग और मजबूत सांस्कृतिक व जन-जन संपर्कों पर आधारित हैं. लोबिया के बीजों की यह खेप ऐसे समय में भारत की तरफ से फिजी भेजी गई है जब चीन उस देश के कृषि क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाने की कोशिशों में लगा हुआ है.
नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिजी यात्रा और भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) के पहले आयोजन के बाद इन संबंधों को और जोर मिला है. भारत सरकार ने फिजी के साथ अपने रिश्तों को प्रशांत महासागर के देशों तक भारत की पहुंच में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया है. इससे पहले मई में, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा की उपस्थिति में भारतीय औषधकोश की मान्यता पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए थे.
लोबिया दाल, जिसे ब्लैक-आइड पीज, या काऊपीज के तौर पर भी जाना जाता है, दुनिया भर में उगाई जाती है. इस दाल को उन लोगों के लिए प्रोटीन का एक रिच सोर्स कहा जाता है जो अंडे, चिकन या मांस नहीं खाते यानी कि पूरी तरह से शाकाहारी हैं. पोषक तत्वों से भरपूर यह दाल फाइबर, विटामिन और पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे मिनिरल्स की खान है और इसमें वसा बिल्कुल नहीं होती. यह पोषक तत्वों से इतनी भरपूर होती है कि कई लोग इसे सुपरफूड तक कहते हैं.
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