गेहूं में चार से छह सिंचाई की होती है जरूरत, कब-कब देना है पानी-जान लें

गेहूं में चार से छह सिंचाई की होती है जरूरत, कब-कब देना है पानी-जान लें

पूरे फसल चक्र के दौरान गेहूं की फसल को आम तौर पर 4-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है. यदि आपके खेत की मिट्टी भारी है तो ऐसी स्थिति में 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और यदि खेत की मिट्टी हल्की है तो 6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है.

गेहूं की फसल में सिंचाई की आवश्यकतागेहूं की फसल में सिंचाई की आवश्यकता
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jan 08, 2024,
  • Updated Jan 08, 2024, 11:14 AM IST

देश भर में गेहूं का सीजन चल रहा है. ठंड बढ़ने से गेहूं की फसल अच्छी हो रही है साथ ही बंपर पैदावार होने की संभावना है. किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर गेहूं की फसल को स्वस्थ रख सकते हैं. इसमें सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है. गेहूं की फसल को पूरे जीवनकाल में 35 से 40 सेमी पानी की आवश्यकता होती है. पानी की सबसे ज्यादा जरूरत तब होती है जब गेहूं में बालियां यानी छप्पर, जड़ें और बालियां निकलने का समय होता है. इन तीन समय पर गेहूं को पानी देना आवश्यक है नहीं तो फसल स्वस्थ नहीं होगी. साथ ही गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए उसे समय पर पानी के साथ खाद देना भी बहुत जरूरी है.

समय पर पानी देने से आप अपनी उपज एक से दो क्विंटल प्रति एकड़ तक बढ़ा सकते हैं. इसलिए किसानों को पता होना चाहिए कि गेहूं कब बोना है, कब पानी देना है और कब खाद डालना है. ताकि गेहूं से बंपर पैदावार प्राप्त की जा सके.

गेहूं में कब करें सिंचाई?

पूरे फसल चक्र के दौरान गेहूं को चार से छह सिंचाई की आवश्यकता होती है. यदि मिट्टी भारी है तो उसे चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और यदि मिट्टी हल्की है तो उसे छह बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. गेहूं की छह अवस्थाएं होती हैं जिनमें सिंचाई करना बहुत फायदेमंद होता है. इन परिस्थितियों के अनुसार ही गेहूं की सिंचाई करनी चाहिए. आइए जानते हैं ये छह चरण क्या हैं और गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करनी चाहिए.

  • पहली सिंचाई- बुआई के 20-25 दिन बाद जब जड़ें बनने लगें.
  • दूसरी सिंचाई- बुआई के 40-45 दिन बाद जब कलियाँ विकसित होने लगें.
  • तीसरी सिंचाई- बुआई के 65-70 दिन बाद, जब तने में गांठें बनने लगें.
  • चौथी सिंचाई- बुआई के 90-95 दिन बाद जब फूल आने लगें.
  • पांचवी सिंचाई- बुआई के 105-110 दिन बाद जब दानें दूध देने लगें.
  • छठी या अंतिम सिंचाई - बुआई के 120-125 दिन बाद जब गेहूं के दाने सख्त हो रहे हों.

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सिंचाई के वक्त इन बातों का रखें ध्यान

यदि गेहूं की फसल देर से बोई गई हो तो पहली सिंचाई बुआई के 18-20 दिन बाद तथा अगली सिंचाई 15-20 दिन बाद करनी चाहिए. सिंचाई के बाद एक तिहाई नाइट्रोजन का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खरपतवार फसलों को उपलब्ध 47 प्रतिशत नाइट्रोजन, 42 प्रतिशत फास्फोरस, 50 प्रतिशत पोटाश, 24 प्रतिशत मैग्नीशियम और 39 प्रतिशत कैल्शियम का उपयोग कर लेते हैं. इसके अलावा, खरपतवार उन कीड़ों और बीमारियों को भी आश्रय देते हैं जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए खरपतवारों को ख़त्म करना बहुत ज़रूरी है. 

फसल को कीट से बचाने का तरीका

यदि गेहूं में कोई फफूंद जनित रोग दिखाई दे तो प्रोपीकोनाजोल के 0.1 प्रतिशत घोल या मैन्कोजेब के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव कर सकते हैं. गेहूं की फसल को चूहों से बचाने के लिए जिंक फास्फाइड या एल्युमिनियम फास्फाइड की गोलियों से बने चारे का उपयोग किया जा सकता है. इससे चूहे मर जायेंगे. यदि गेहूं में संकरी पत्ती वाली घास उगती है तो बुआई के 1-3 दिन के अंदर पेंडीमेथालिन 1000-1500 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.

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