खेत है खाली तो फिकर नॉट... मार्च अंत तक करें गरमा मूंग-उड़द की बुवाई

खेत है खाली तो फिकर नॉट... मार्च अंत तक करें गरमा मूंग-उड़द की बुवाई

अगर किसान अब तक गरमा मूंग और उड़द की खेती नहीं कर पाए हैं, तो चिंता की बात नहीं है. मार्च के अंत तक इन फसलों की बुवाई की जा सकती है. साथ ही लतर (लत्तेदार) वाली सब्जियों में लाल ब्रिंग कीट की निगरानी भी जरूरी है. इन फसलों की बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश और गंधक का उपयोग करना चाहिए.

मूंग की खेतीमूंग की खेती
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Mar 19, 2025,
  • Updated Mar 19, 2025, 2:47 PM IST

आलू की खुदाई और सरसों की कटाई लगभग समाप्त हो चुकी है. जहां कुछ किसान गरमा फसलों की खेती कर चुके हैं, वहीं कुछ किसान अभी भी गरमा फसलों की खेती नहीं कर पाए हैं. वैसे किसानों को डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिक मार्च के महीने में गरमा  मूंग और उड़द की बुवाई करने का सुझाव दे रहे हैं. उनका कहना है कि किसान अभी भी गरमा मूंग और उड़द की बुवाई मार्च महीने के अंत तक कर सकते हैं. इसके साथ ही ओल (सूरन, जिमीकंद) की रोपाई भी की जा सकती  है. वहीं, वैज्ञानिक मार्च के महीने में सब्जियों में रोग लगने का खतरा को देखते हुए, किसानों को फसलों की  निगरानी करने का सुझाव भी दे रहे हैं.

गरमा मूंग, उड़द की खेती के लिए ध्यान रखें ये बातें

गरमा मूंग और उड़द की खेती के लिए सही समय 15 फरवरी से 15 मार्च माना जाता है, लेकिन किसान मार्च के अंतिम सप्ताह तक भी इसकी बुवाई कर सकते हैं. विश्वविद्यालय की ओर से जारी साप्ताहिक कृषि सलाह के अनुसार, इन फसलों की बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश और गंधक का उपयोग करना चाहिए.

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इसके साथ ही मूंग के लिए पूसा विशाल, सम्राट, एसएमएल 668, एचयूएम 16, सोना और उड़द के लिए पंत उड़द 19, पंत उड़द 31, नवीन और उत्तरा किस्मों के बीजों का चयन करना चाहिए. छोटे दाने वाली किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज और बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 30-35 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. बुवाई से पहले मिट्टी में नमी की जांच अवश्य करें. 

लतर वाली सब्जियों में लाल भृंग कीट की करें निगरानी

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, नेनुआ, करेला, लौकी और खीरा जैसी लतर वाली सब्जियों में लाल भृंग कीट का खतरा मार्च के महीने में अधिक रहता है. यह कीट फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. इसका पीठ नारंगी-लाल और अधर भाग काले रंग का होता है. शिशु कीट पौधों की जड़ें काट देते हैं. वयस्क कीट पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है. इस कीट से बचाव के लिए किसान गाय के गोबर की राख में थोड़ा केरोसिन तेल मिलाकर सुबह के समय छिड़काव करें. यदि समस्या गंभीर हो, तो कृषि वैज्ञानिक से परामर्श अवश्य लें.

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