गेहूं उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान प्राप्त है. वहीं रबी की अनेक फसलों में से गेहूं एक प्रमुख फसल है. इसलिए भारतीय किसान गेहूं की खेती करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि उपज ज्यादा से ज्यादा प्राप्त हो. पिछले 4 दशकों में भारत में गेहूं की उपज रिकॉर्ड तोड़ हुई है.
दरअसल, वर्ष 1964-65 में जहां गेहूं का उत्पादन 12.26 मिलियन टन था, वही वर्ष 2021-22 में उत्पादन बढ़कर 106.41 मिलियन टन पहुंच गया है. फसल की अच्छी उपज हो इसके लिए किसान गेहूं की उन्नत किस्मों की बुवाई करते हैं. ऐसी ही एक गेहूं की उन्नत किस्म DBW 327 करण शिवानी भी है. ऐसे में आइए गेहूं की इस उन्नत किस्म के बारे में विस्ताए जानते हैं-
गेहूं की उन्नत किस्म DBW 327 करण शिवानी
DBW 327 करण शिवानी, गेहूं की अगेती किस्म है. गेहूं की इस खास किस्म को उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों के लिए विकसित किया गया है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में आसानी से इसकी खेती की जा सकती है.
• इस किस्म की उत्पादन क्षमता लगभग 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
• DBW 327 किस्म की खेती उन इलाकों में भी हो सकती है जिन इलाकों में सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है.
• गेहूं की यह खास किस्म सूखे के प्रति सहनशील है. उच्च तापमान में भी इससे अच्छी उपज मिलती है.
• गेहूं की इस खास किस्म में बुवाई के 98 दिनों में बालियां निकल जाती है.
• DBW 327 गेहूं की यह खास किस्म बुवाई के 155 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है.
• DBW 327 के तनों की ऊंचाई 98 सेमी होती है.
• फसल बुवाई के 155 दिनों बाद तैयार हो जाती है.
• चपाती के लिए गेहूं की यह किस्म अच्छी है.
• इस किस्म में आयरन की मात्रा 39.4 पीपीएम तथा जिंक की मात्रा 40.6 पीपीएम है.