सरसों के पत्ते पर दिखें गोल भूरे धब्बे तो हो जाएं सावधान, इस रोग का है संकेत, जल्द डालें ये दवा

सरसों के पत्ते पर दिखें गोल भूरे धब्बे तो हो जाएं सावधान, इस रोग का है संकेत, जल्द डालें ये दवा

झुलसा रोग में सरसों के पत्तियों पर गोल भूरे धब्बे दिखाई देते हैं. फिर ये धब्बे आपस में मिलकर पत्ती को झुलसा देते हैं. इसके बाद धब्बों के बीच में छल्ले दिखाई देते हैं. रोग बढ़ने पर गहरे भूरे धब्बे तने, शाखाओं और पत्तियों पर फैल जाते हैं. पत्तियों पर धब्बे गोल और तने पर लंबे होते हैं.

राजस्‍थान में अक्‍टूबर तक सरसों बुवाई का 46 प्रतिशत एरिया कवर. (सांकेतिक तस्‍वीर)राजस्‍थान में अक्‍टूबर तक सरसों बुवाई का 46 प्रतिशत एरिया कवर. (सांकेतिक तस्‍वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 18, 2024,
  • Updated Nov 18, 2024, 2:53 PM IST

सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर है. कुछ राज्यों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरसों के पत्तों पर गोल भूरे धब्बे बन रहे हैं. अगर आपने भी सरसों की खेती की है तो एक बार पौधों की निगरानी जरूर कर लें. अगर पत्तों पर ऐसा कुछ दिख रहा है तो सावधान हो जाएं. दरअल, सरसों के पत्तों पर गोल भूरा धब्बा झुलसा रोग की निशानी है. यह शुरुआती स्टेज से लेकर कभी भी हो सकता है. यह ऐसा धब्बा रोग है जो सरसों की फसल को नष्ट कर देता है. आपको इस रोग से अभी सावधान हो जाना है.

सबसे पहले इस रोग के लक्षण के बारे में जान लेते हैं. झुलसा रोग में सरसों के पत्तियों पर गोल भूरे धब्बे दिखाई देते हैं. फिर ये धब्बे आपस में मिलकर पत्ती को झुलसा देते हैं. इसके बाद धब्बों के बीच में छल्ले दिखाई देते हैं. रोग बढ़ने पर गहरे भूरे धब्बे तने, शाखाओं और पत्तियों पर फैल जाते हैं. पत्तियों पर धब्बे गोल और तने पर लंबे होते हैं. आगे चलकर इससे फलियां भी प्रभावित होती हैं जिससे फलियों के दाने सिकुड़ जाते हैं और बदरंग हो जाते हैं.

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झुलसा रोग का नियंत्रण कैसे करें?

  1. बुवाई से पहले मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज दर से बीज का उपचार करें.
  2. रोग शुरू होने की दवा में मेन्कोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से पानी में घोलकर 2-3 बार 10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.

झुलसा रोग की तरह सरसों पर सफेद रतुआ या श्वेत कीट रोग का भी प्रकोप होता है. यह रोग सभी स्थानों पर पाया जाता है. जब तापमान 10-18 डिग्री के आसपास रहता है तब पौधों की पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रंग के फफोले बनते हैं. जैसे-जैसे रोग की गंभीरता बढ़ती है, वैसे-वैसे ये फफोले आपस में मिलकर अनियमित आकार के दिखाई देने लगते हैं. फिर पत्ती के ऊपर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. रोग अधिक बढ़ जाए तो फूल और फली पर यह धब्बा केकड़े की तरह फुल हुआ दिखाई देता है.

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श्वेत कीट से बचाव कैसे करें?

  • उचित समय यानी 1 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक सरसों की बुवाई जरूर करें.
  • बीज बोने से पहले मेटालेगाजिल (एप्रॉन 35 एसडी) 6 ग्राम प्रति किग्रा की दर से उपचार करें.
  • नियमित मात्रा में फसल की सिंचाई करें.
  • रोग के लक्षण दिखाई देने पर रिडोमिल (एमजेड 72 डब्ल्यूसी) या मेन्कोजेब 1250 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अंतराल में प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

 

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