पारंपरिक खेती को कहें बाय, इंटरक्रॉपिंग से बढ़ाएं उत्पादन और मुनाफा

पारंपरिक खेती को कहें बाय, इंटरक्रॉपिंग से बढ़ाएं उत्पादन और मुनाफा

इंटरक्रॉपिंग से न केवल खेत का बेहतर उपयोग होता है, बल्कि किसान को अधिक आय, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई फायदे भी मिलते हैं. सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकें.

Paddy cultivation and fish farming togetherPaddy cultivation and fish farming together
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 12, 2025,
  • Updated May 12, 2025, 3:35 PM IST

देश के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक और तरीके का इस्तेमाल करने लगे हैं. धीरे-धीरे किसान भी आधुनिकता के इस दौर से खुद को जोड़कर कृषि के क्षेत्र में नए बदलाव हासिल करने लगे हैं. इन तकनीकों का इस्तेमाल कर किसान अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इंटरक्रॉपिंग खेती भी इन्हीं तकनीकों में से एक है. इस तकनीक को अपनाकर प्रगतिशील किसान न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि एक साथ कई फसलों की खेती भी कर रहे हैं. इंटरक्रॉपिंग का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसल उगाने की तकनीक. यह पारंपरिक खेती से अलग और ज्यादा मुनाफे वाला तरीका है. इसमें खेत के हर हिस्से का इस्तेमाल होता है और किसानों को ज्यादा उत्पादन के साथ अच्छी आमदनी भी होती है.

खाद्य सुरक्षा में सहायक

जब एक खेत में अलग-अलग फसलें होती हैं, तो किसान के पास एक से ज्यादा तरह का उत्पादन होता है. इससे घर के लिए खाने का पर्याप्त इंतजाम हो जाता है. जैसे अगर किसान एक साथ दाल और अनाज की फसलें उगाता है, तो उसे अपने परिवार के लिए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों मिलते हैं. इस तरह इंटरक्रॉपिंग से पोषण सुरक्षा भी मिलती है.

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उत्पादन में बढ़ोतरी

एक ही खेत में जब दो फसलें उगती हैं, तो दोनों से उत्पादन होता है. इससे कुल उत्पादन बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, अगर किसान मक्का के साथ अरहर या मूंग लगाता है, तो उसे दोनों फसलों का फायदा मिलता है. इससे आय भी दोगुनी होती है और खेत का पूरा उपयोग होता है.

बढ़ती है मिट्टी की उर्वरता

अलग-अलग फसलों का मेल मिट्टी की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. कुछ फसलें जैसे दलहन (चना, अरहर, मूंग) मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ती हैं, जिससे अगली फसल के लिए भी मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है. इस तरह इंटरक्रॉपिंग से उर्वरक की जरूरत भी कम पड़ती है और पर्यावरण पर भी कम असर होता है.

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लागत में कमी, मुनाफा ज्यादा

इंटरक्रॉपिंग से किसान एक ही बार खेत तैयार करता है, एक ही बार सिंचाई और खाद डालता है, जिससे खर्च कम होता है. साथ ही जब दो फसलें एक साथ बाजार में बिकती हैं, तो आय बढ़ जाती है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और जोखिम भी कम होता है.

किसानों के लिए बेहतर विकल्प

आज के समय में जब मौसम बदल रहा है और खेती में लागत बढ़ रही है, इंटरक्रॉपिंग किसानों के लिए एक स्मार्ट विकल्प है. इससे उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और जोखिम भी कम होता है. अगर एक फसल खराब हो जाए, तो दूसरी से नुकसान की भरपाई हो सकती है.

इंटरक्रॉपिंग से न केवल खेत का बेहतर उपयोग होता है, बल्कि किसान को अधिक आय, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई फायदे भी मिलते हैं. सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकें. इसलिए अब समय है कि किसान इंटरक्रॉपिंग अपनाएं और खेती को बनाएं ज्यादा फायदेमंद और टिकाऊ.

इंटरक्रॉपिंग के कुछ उदाहरण

  • मक्का + राजमा
  • गन्ना + सरसों
  • चना + गेहूं
  • अरहर + मूंगफली
  • धान + मछली पालन (एकीकृत खेती)

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