सरसों की बुआई का सही समय, सीड ट्रीटमेंट का सही तरीका, ICAR के सुझावों से बढ़ेगा उत्पादन

सरसों की बुआई का सही समय, सीड ट्रीटमेंट का सही तरीका, ICAR के सुझावों से बढ़ेगा उत्पादन

ICAR की तरफ से किसानों को इससे जुड़े कुछ खास सुझाव दिए गए हैं जो सरसों की बुआई के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. इन सुझावों में बुआई के सही समय से लेकर बीजों के उपचार का तरीका तक शामिल है. बीज उपचार करने से फसल रोगों और कीटों से बचती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है. यह किसान के लिए कम लागत में ज्यादा लाभ देने वाला उपाय है. 

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 29, 2025,
  • Updated Sep 29, 2025, 3:09 PM IST

मॉनसून की विदाई के बाद अब किसानों का सारा ध्‍यान रबी की फसलों पर है. सरसों रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है. सही समय पर बुआई और उचित बीज उपचार अपनाकर किसान उत्पादन को कई गुना बढ़ा सकते हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी ICAR की मानें तो सर्दियों के आगमन के साथ किसान सरसों की बुआई की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में सरसों की सही बुआई समय और बीज उपचार का पालन करना फसल की गुणवत्ता और उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है. 

ICAR ने दिए खास सुझाव 

ICAR की तरफ से किसानों को इससे जुड़े कुछ खास सुझाव दिए गए हैं जो सरसों की बुआई के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. इन सुझावों में बुआई के सही समय से लेकर बीजों के उपचार का तरीका तक शामिल है. बीज उपचार करने से फसल रोगों और कीटों से बचती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है. यह किसान के लिए कम लागत में ज्यादा लाभ देने वाला उपाय है. 

बीज की मात्रा और चयन

एक हेक्टेयर खेत के लिए 2.5 से 3.5 किलो बीज की मात्रा पर्याप्त होती है. किसान हमेशा साफ, स्वस्थ और रोग-मुक्त प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें. अच्छी गुणवत्ता वाले बीज से अंकुरण बेहतर होता है और फसल रोगों से बची रहती है. 

बुआई का सही समय

ICAR की मानें तो सरसों की बुआई का समय किस्म पर निर्भर करता है. सामान्य तौर पर इसकी बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंत तक करना सबसे अच्छा रहता है. अगर बुआई समय से पहले की जाए तो पौधे कमजोर रह जाते हैं. वहीं देर से बुआई करने पर ठंड और पाले का असर फसल पर पड़ सकता है. अच्छे अंकुरण के लिए बुआई के समय दिन का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए. 

बुआई की विधि

सिंचित क्षेत्रों में कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. इस तरह की बुआई से पौधों को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, जिससे फसल तंदुरुस्त रहती है. 

बीज उपचार की विधियां

  • कार्बेन्डाजिम (बविस्टिन) का इस्तेमाल 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से करें. इस दर से फसल पर लगने वाले कई फफूंदजनित रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. 
  • ट्राइकोडर्मा नामक फंगस का प्रयोग 6 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से करें. इससे जमीन में पाए जाने वाले कई हानिकारक रोगाणुओं का असर खत्म हो जाता है. 
  • स्पॉटेड कीट या पेंटेड बग से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 WP का इस्तेमाल करें. इसे 7 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बुआई करें. 

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