भारतीय किसानों की जीवनरेखा कही जाने वाली खरीफ की मुख्य फसल धान की खेती के लिए अगर किसान सही तकनीकों का इस्तेमाल करता है, तो वह धान की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकता है. देश में 380 से 390 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती होती है, जो कुल खाद्यान्न उत्पादन का 36 फीसदी है. इस समय धान की खेती करने वाले किसान बीज खरीद से लेकर नर्सरी तैयार करने में लगे हैं. ऐसे में, धान की इस फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है. इसमें धान की सही किस्मों का चुनाव, स्वस्थ बीज की उपलब्धता और उन्नत नर्सरी की तैयारी अहम पहलू हैं. चूंकि भारत में अधिकांश धान उगाने वाले किसान मामूली हैसियत के होते हैं, इसलिए प्रमाणित बीज और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल उनकी स्थिति सुधारने में सहायक हो सकता है.
अच्छी उपज का आधार स्वस्थ नर्सरी है. एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई के लिए:
• बारीक धान का 30 किलोग्राम बीज लगता है.
• मध्यम दाने वाले धान का 35 किलोग्राम बीज लगता है.
• मोटे दाने वाले धान का 40 किलोग्राम बीज लगता है.
• ऊसर भूमि में यह मात्रा दोगुनी कर देनी चाहिए.
अगर आप एक हेक्टेयर क्षेत्र में नर्सरी लगाते हैं, तो इससे लगभग 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई की जा सकती है.
अपनी नर्सरी डालने से पहले बीज उपचार अवश्य करें. इसके लिए बीज को रात भर पानी में भिगो दें. अगले दिन बीज निकालकर, 25 किलोग्राम बीज के लिए 75 ग्राम थीरम या 40 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8-10 लीटर पानी में घोलकर बीज में अच्छी तरह मिला दें. इसके बाद बीज को छाया में अंकुरित करके नर्सरी में डालें. जहां तक संभव हो, बीज उपचार के लिए बायोपेस्टीसाइड का प्रयोग करें. अब आपका उपचारित बीज तैयार है, जो आपको बेहतर उपज दे सकता है.
धान की नर्सरी उगाने के लिए खेत की ऊपरी सतह की मिट्टी को 5-6 सेमी गहराई तक इकट्ठा करें. इसे बारीक करके जिस क्षेत्र में नर्सरी डालनी है, उसमें अच्छी तरह पडलिंग करके पाटा कर दें. इसके बाद खेत का पानी निकाल दें और एक या दो दिन तक ऐसे ही रहने दें, जिससे सतह पर एक पतली परत बन जाए. अब इस क्षेत्र पर एक मीटर चौड़ाई में, जरूरत के मुताबिक लंबाई तक लकड़ी की पट्टियां लगाकर मिट्टी की 2 से 3 सेमी ऊंची मेड़ बनाएं. इस क्षेत्र में नर्सरी के लिए तैयार की गई छनी हुई मिट्टी को एक सेमी ऊंचाई तक बिछाकर समतल कर दें.
इसके ऊपर अंकुरित बीज 800 से 1000 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से छिड़क दें. अब इसके ऊपर थोड़ी छनी हुई मिट्टी इस तरह से डालें कि बीज ढक जाएं. इसके बाद नर्सरी को पुआल घास से ढक दें. 4-5 दिन तक पानी का छिड़काव करते रहें. नर्सरी में किसी भी तरह के उर्वरक का प्रयोग न करें.