
अब यह मानने में किसी को गुरेज नहीं है कि रासायनिक खादों के इस्तेमाल से उत्पादन तो बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ खाद्यान्न भी जहरीला हाे रहा है. इसे खाकर बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में पूरे देश में इन दिनों जैविक उत्पादों पर जोर दिया जा रहा है. किसान भी इस बात को समझते हैं और इसीलिए अब जैविक खेती करने के अलावा जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के कामों में जुट गए हैं.
इसके लिए किसान भांति-भांति के तरीके अपना रहे हैं. इस कड़ी में मध्य प्रदेश के एक जैविक किसान ने अपनी भांजी की शादी भी विशुद्ध जैविक तरीके से करके जीवनशैली को प्रदूषण मुक्त बनाने का संदेश दिया है.
मालवां अंचल के देवास जिले में अपने तरह की इस अनूठी शादी में पहुंचे 8 राज्यों के मेहमानों का स्वागत गोबर से लीपे गए भव्य पंडाल में किया गया. मिट्टी की सौंधी सुगंध के बीच केवड़ा का इत्र आबोहवा को खुशनुमा बना रहा था. शादी के भोज में ढाक के पत्तों से बने दोना, पत्तल और कुल्हड़ में जैविक अन्न से बने लजीज पकवान परोसे गए. मिठाई भी गुड़, मूंगफली, गाय के घी और मेवों से बनाई गई थी.
इस कवायद का एक मकसद शादियों में फिजूलखर्ची रोकने का समाज को सकारात्मक संदेश देना भी था.यह सब पिछले सप्ताह 26 जनवरी को देवास जिले की कन्नौद तहसील के बावड़ी खेड़ा गांव में हुआ. इसके कर्ताधर्ता थे किसान दीपक सुलानिया. उन्होंने अपनी भांजी निर्मला की शादी में केमिकल फ्री, आर्गेनिक भोजन का इंतजाम किया. कोई भी ऐसी प्रोसेस्ड सामग्री प्रयोग में नहीं लाई गई, जो बाजार से खरीदी गई हो.
सुलानिया ने बताया कि शक्कर और मावा की बहुत अधिक जरूरत से बचने के लिए मिठाइयां, चीनी से नहीं बल्कि गुड़ की बनाई गईं. जरूरत भर का दूध, घी और अन्य जरूरी चीजें गांव से ही जुटा ली गईं. सामूहिक अग्निहोत्र में शामिल हुए 8 राज्यों के जैविक किसान अपने फार्म पर पैदा किए जा रहे मसाले, सब्जियां और तेल आदि लेकर पहुंचे. सुलानिया ने बताया कि वह अपने गांव में संचालित एफपीओ 'श्री दीप ज्योति जैविक किसान प्रोड्यूसर कंपनी' से जुड़े हैं. एफपीओ से जुड़े 8 राज्यों के 40 जैविक किसान अपने इलाके में पैदा की जा रही जैविक सामग्री के साथ इस शादी में शिरकत करने आए.
शादी में मेहमानों का स्वागत अर्जुन की छाल से बनी 'हर्बल टी' से किया गया. खाने में मप्र के मालवा अंचल में मशहूर दाल, बाफले परोसे गए. इन्हें अपने ही खेतों में उपजे गेहूं, चना, दाल से बनाया गया था. लहसुन, मेथी, मिर्च और आंवले के अचार के अलावा चावल से लेकर सलाद तक के लिए प्याज, चुकंदर और गाजर भी गांव के खेतों की थी. इतना ही नहीं पीने का पानी तांबे के लोटे से परोसा गया.
एफपीओ के निदेशक राजाराम गोयल ने बताया कि इस समूह के उपजाए जैविक उत्पादों की बिक्री इस समय 8 राज्यों में सक्रिय एफपीओ के माध्यम से होती है. इस वजह से उनका संपर्क, हरियाणा के जींद निवासी जैविक किसान बावला जाट से हुआ. बावला जाट ने 5 अप्रैल 2022 को अपनी बेटी की शादी में पूरी तरह से केमिकल मुक्त उत्पादों को इस्तेमाल किया था. इस शादी में शामिल होकर उन्हें भी ऐसा कुछ करने की प्रेरणा मिली और उन्होंने अपने गांव में भी इस तरह की पहल करने का संकल्प लिया. जिसे अब जाकर पूरा किया जा सका.
उन्होंने बताया कि शादी के कार्ड में भी जैविक अन्न को बढ़ावा देने का संदेश चस्पा किया गया, जिससे अन्य लाेग भी इस तरह के आयोजन करने के लिए प्रेरित हों. शादी में मेहमान दिल्ली, मुंबई और भोपाल सहित अन्य शहरों के वे लोग भी बने, जो बीते दो सालों से इस एफपीओ के जैविक उत्पाद खरीद कर इस्तेमाल कर रहे हैं.
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