खेती के इस मॉडल को अपनाकर सालाना पांच लाख रुपये तक कमा सकते हैं किसान, जानें क्या है यह प्रणाली

खेती के इस मॉडल को अपनाकर सालाना पांच लाख रुपये तक कमा सकते हैं किसान, जानें क्या है यह प्रणाली

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एग्रो इकोनोमी विभाग के वैज्ञानिक डॉ चंद्रशेखर सिंह बताते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली हर स्तर के किसानों के द्वारा किया जा सकता है.इसके अलावा भूमिहीन किसान भी  इस कृषि प्रणाली को अपना सकते हैं. इसके अलावा जो बड़े छोटे और मंझोले किसान हैं वो भी इस कृषि प्रणाली का लाभ उठा सकते हैं.

समेकित कृषि प्रणालीसमेकित कृषि प्रणाली
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Mar 05, 2024,
  • Updated Mar 05, 2024, 4:07 PM IST

देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ कम होती खेती और मिट्टी की घटती उपजाऊ क्षमता एक बड़ी चिंता बन कर उभर रही है. ऐसे में कृषि की नई तकनीक और नई प्रणाली की खोज की जा रही है ताकि अधिक से अधिक उत्पादन हासिल करते हुए पर्यावरण के नुकसान को कम किया जा सके. ऐसे में समेकित कृषि (Integrated Farming) एक बेहतर मॉडल के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है. हालांकि इसे एक पारंपरिक मॉडल कहा जा सकता है क्योंकि पहले के दिनों में प्रत्येक किसान परिवार के घर मेंइस तरह की व्यवस्था देखी जाती थी. जहां पर किसान के घर में खेती बारी के अलावा जानवर और पशु पक्षी भी होते थे, जिससे किसानों को लाभ होता था. 

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एग्रो इकोनोमी विभाग के वैज्ञानिक डॉ चंद्रशेखर सिंह बताते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली हर स्तर के किसानों के द्वारा किया जा सकता है.इसके अलावा भूमिहीन किसान भी  इस कृषि प्रणाली को अपना सकते हैं. इसके अलावा जो बड़े छोटे और मंझोले किसान हैं वो भी इस कृषि प्रणाली का लाभ उठा सकते हैं. अपनी जमीन के अनुसार वो समेकित कृषि प्रणाली अंतर्गत आने वाली किसी भी कृषि पद्धति को अपना सकते हैं.

जैसे  जिन किसानों के पास खेती की जमीन नहीं है अगर उनके घर के पास थोड़ी बहुत जमीन है तो वे बैकयार्ड फार्मिंग कर सकते हैं या फिर वर्मी कंपोस्ट की यूनिट ले सकते हैं. इसके साथ ही वो बकरी पालन और मशरूम उत्पादन जैसे कार्य कर सकता है. जिस किसान के पास अधिक जमीन है वह अपने खेतों में सब्जी, फसल, दलहन, तिलहन की खेती के अलावा मुर्गीपालन, बतखपालन, मछलीपालन, बकरी पालन, गौपालन, सुअर पालन मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसी गतिविधी कर सकते हैं, ताकि हमेशा उसे कुछ ना कुछ मिलता रहे और उसके आय जा जरिया बना रहे.

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आध्यात्मिक समेकित प्रणाली

इसके अलावा अगर कोई बड़ा किसान समेकित कृषि के तहत खेती करता है तो उसे सालोंभर अपने खेत से कुछ ना कुछ आमदनी प्राप्त होगी. इससे वह अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकता है. समेकित कृषि प्रणाली में एक-एक बूंद पानी, एक-एक इंच जमीन और खेत से जो निकल रहा है उसका ध्यान रखना पड़ता है.  उन्होंने कहा कि बिरसा एग्रोटेक किसान मेले के स्टॉल में जो कृषि प्रणाली को दिखाया गया है वह आध्यात्मिक समेकित कृषि प्रणाली है. क्योंकि इसमें देसी गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. खेतों में सुबह औऱ शाम के समय अग्निहोत्र मंत्र का जाप किया जाता है और गाय से मिलने वाले पांच चीजें दूध, दही, गोमूत्र, गोबर और घी से हवन किया जाता है. इससे माइक्रोऑर्गेनिज्म में वृद्धि होगी.

कृषि में लागत होती है कम

समेकित कृषि प्रणाली में उद्यम की लागत को कम करने का प्रयास किया जाता है. उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि अगर एक किसान के पास एक हेक्टेयर का तालाब है तो उसमें उसे 7000-8000 जीरा डालना होता है. इस के बाद उस तालाब के लिए वह 200-330 बतख, 500-6-- मुर्गी, या 75 से 80 सुअर या पांच से छह दूधारू गाय का दूधारू भैंस रख लेता है तो मछली को कोई खाना देने की जरूरत नहीं है. इसी प्रकार जो बतख पानी में हैं उससे पानी में हलचल पैदा होगी और ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी. इसके साथ ही बतख मछलियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को भी खा जाएगी. इससे बतख अधिक अंडा देते हैं.

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चार से पांच लाख रुपए तक होगी कमाई

इसके साथ ही धान का जो पुआल होता है उसका इस्तेमाल मशरूम उत्पादन के लिए किया जाएगा और उसके बाद फिर उस पुआल को कंपोस्ट पिट में डालकर वर्मी कंपोस्ट बनाया जा सकता है. इसके अलावा तालाब में जो गाद जमा होता है वह भी एक बेहतरी खाद के तौर पर काम करता है. उसका इस्तेमाल खेतों में होगा. इस तरह से समेकित कृषि प्रणाली में कृषि की लागत को कम किया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर एक हेक्टेयर में किसान समेकित कृषि प्रणाली को अपनाता है तो उसे एक साल में चार से पांच लाख रुपए तक वो आसानी से कमा सकता है. 

 

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