पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को कहा कि किसान पिछले साल की बाढ़ के दौरान सतलुज और ब्यास नदियों के किनारे अपने खेतों में जमा हुई रेत बेच सकते हैं. मान ने यह बात पंजाब विधानसभा में बजट सत्र के दूसरे दिन निर्दलीय विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद कही. सुल्तानपुर लोधी के विधायक ने कहा कि बाढ़ के बाद उनके विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांवों में कृषि क्षेत्रों में चार से पांच फीट रेत जमा हो गई है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को पिछले साल बाढ़ के दौरान उनके खेतों में जमा चार फीट तक रेत बेचने की अनुमति देगी.
मान ने कहा कि यह रेत खेत मालिकों की होगी और राज्य सरकार इस पर कोई कर नहीं लगाएगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी. इस बीच, राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए, पंजाब के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि आप सरकार ने पिछले दो वर्षों में राज्य में "विकास का रिकॉर्ड" बनाया और 12000 एकड़ अतिक्रमित पंचायत भूमि को मुक्त कराया. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने राज्य में कुछ नहीं किया.
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राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस में डिप्टी स्पीकर जय किशन रोरी भी शामिल हुए. अध्यक्ष ने उन्हें चर्चा में भाग लेने के लिए सदन के उपाध्यक्ष के लिए निर्धारित सीट से दूसरी कुर्सी पर स्थानांतरित होने के लिए कहा. आप विधायक सर्वजीत कौर मौनके ने युवाओं को दी गई सरकारी नौकरियों के बारे में जानकारी दी और कहा कि राज्य सरकार ने कुछ दिन पहले 'पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज' को लोगों को समर्पित किया है. सत्तारूढ़ आप की विधायक इंदरजीत कौर मान ने सड़क दुर्घटनाओं की जांच करने और यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक सड़क सुरक्षा बल बनाे की बात कही.
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उन्होंने कहा कि आप के सत्ता में आने के बाद से राज्य में ड्रग तस्करों के खिलाफ 18,000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं. शिरोमणि अकाली दल के विधायक सुखविंदर कुमार सुखी ने आप सरकार पर राज्य में अभी तक एक भी नया स्कूल नहीं बनाने का आरोप लगाया. कांग्रेस विधायक संदीप जाखड़ ने मांग की कि राज्य सरकार एक कृषि नीति लेकर आये. उन्होंने कृषि क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों के समाधान के लिए एक रोडमैप की भी मांग की और राज्य में घटते भूमिगत जल स्तर पर चिंता व्यक्त की.
बता दें पिछले साल पंजब के कई जिलों में अधिक बारिश होने से बाढ़ आ गई थी. इससे हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई. ऐसे में किसानों को फिर से धान की बुवाई करनी पड़ी थी. तब किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की थी. इसके बाद पंजाब सरकार ने फैसला किया था कि उन सभी किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा जिनकी धान के फसल के अंकुर जुलाई में आई फ्लैश फ़्लड में बर्बाद हो गए. सरकार ने कहा था कि उन्हें 6,800 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा.
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