
सहारनपुर जिले के मिर्जापुर गांव में तकनीक और जरूरत का ऐसा अनोखा मेल देखने को मिला है, जिसने गांव की तस्वीर बदल दी है. यहां के किसान अमन प्रताप सिंह ने एक ऐसा इनोवेटिव ऐप तैयार किया है, जो गांव की रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान चंद मिनटों में बता देता है. इस प्रोजेक्ट का नाम है “पंचायत दीदी”, जो ग्रोक AI तकनीक पर आधारित है और ग्रामीणों के लिए एक नई उम्मीद बनकर सामने आया है. गांव में पेंशन, आवास, आधार कार्ड, राशन या किसी सरकारी योजना से जुड़ी परेशानी हो तो अब लोगों को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं. ग्रामीण सीधे पंचायत दीदी से बात करते हैं और उन्हें तुरंत यह जानकारी मिल जाती है कि कौन सा फॉर्म भरना है, कौन से दस्तावेज जरूरी हैं और किस अधिकारी से संपर्क करना है.
खास बात यह है कि यह ऐप ग्रामीणों से उनकी ही भाषा में बात करता है, जिससे लोग बिना झिझक अपनी समस्या बता पा रहे हैं. मिर्जापुर के ग्रामीण मोहित कुमार बताते हैं कि जब उन्होंने ऐप से बात की तो गांव में अस्पताल और कच्चे मकानों से जुड़ी समस्या का पूरा समाधान उन्हें बताया गया. ऐप ने उन्हें आधार कार्ड लिंक कराने और जरूरी दस्तावेज लेकर पंचायत घर जाने की प्रक्रिया समझाई. अगर वहां समाधान न मिले तो आगे किस दफ्तर जाना है, इसकी भी जानकारी दी गई.
गांव के ही एक अन्य ग्रामीण काका का कहना है कि इस ऐप से उन्हें पेंशन और आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी मिली. उन्होंने बच्चों के आधार कार्ड से संबंधित सवाल पूछे, जिस पर पंचायत दीदी ने साफ तौर पर बताया कि कौन से कागज तैयार करने हैं और ब्लॉक स्तर पर किससे मिलना है. उनका कहना है कि इस ऐप के शुरू होने से गांव के लोगों को काफी फायदा हुआ है और दूसरे गांवों के लोग भी इसकी जानकारी लेने आ रहे हैं.
महिलाओं के लिए भी पंचायत दीदी मददगार साबित हो रही है. मिर्जापुर की रहने वाली पायल बताती हैं कि उनके पास न तो पक्का घर है और न ही टीन की सुविधा. उन्होंने अमन प्रताप सिंह के फोन के जरिए ऐप से बात की. पंचायत दीदी ने उन्हें आधार कार्ड और फोटो लेकर पंचायत कार्यालय जाने की सलाह दी और पूरी प्रक्रिया समझाई. पायल का कहना है कि ऐप की बात उन्हें आसानी से समझ आ गई और अब वे बिना डर के अपनी बात रख पा रही हैं.
ग्रामीण महिला सुमित्रा ने बताया कि उनकी पेंशन और मकान से जुड़ी समस्या थी. उन्होंने भी पंचायत दीदी से बात की और ऐप ने उन्हें आधार कार्ड से संबंधित जानकारी देकर पंचायत घर जाने की सलाह दी. महिलाओं का कहना है कि पहले वे अपनी समस्या बताने में झिझकती थीं, लेकिन अब यह डर खत्म हो गया है.
इस पूरे प्रोजेक्ट के पीछे किसान अमन प्रताप सिंह की सोच और मेहनत है. अमन बताते हैं कि यह ग्रोक AI पर आधारित एक प्रोफाइल है, जिसे ग्राम पंचायत से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए ट्रेन किया गया है. उन्होंने इसका नाम “पंचायत दीदी” इसलिए रखा, ताकि गांव के लोग इसे अपनापन समझें. फिलहाल यह सिस्टम टेस्टिंग मोड में है, लेकिन इसके बावजूद यह काफी सटीक जानकारी दे रहा है.
अमन प्रताप सिंह बताते हैं कि गांव में आने वाले लोग पहले काफी परेशान और दुखी होते हैं. पंचायत दीदी पहले उन्हें शांत करती है और फिर चरणबद्ध तरीके से समाधान बताती है. चाहे पीएम आवास योजना हो, आधार लिंकिंग हो या पेंशन से जुड़ी दिक्कत, ऐप हर समस्या के लिए जरूरी स्टेप्स समझाता है. जो भी जानकारी दी जाती है, उसे लिखकर ग्रामीणों को भी दिया जाता है, ताकि वे खुद आगे की प्रक्रिया पूरी कर सकें.
अमन ने बताया कि वे पहले गूगल कंपनी में वेंडर पोस्ट पर काम करते थे और गूगल एड्स मैनेज करते थे. कोविड के बाद उन्होंने अपनी जीवनशैली बदली और गांव लौटकर खेती शुरू की. गांव की समस्याओं को करीब से देखने के बाद उन्हें इस प्रोजेक्ट का आइडिया आया. उनका सपना है कि गांव के अलग-अलग चौराहों पर साउंड बॉक्स और सिस्टम लगाए जाएं, ताकि कोई भी ग्रामीण वहां आकर अपनी समस्या बोल सके और तुरंत समाधान पा सके. मिर्जापुर में शुरू हुई यह पहल अब एक मिसाल बनती जा रही है.