Successful Farmer: राजस्थान के किसान की कहानी, जो उगाते हैं दो लाख रुपये किलो बिकने वाला मशरूम, करते हैं भरपूर कमाई

Successful Farmer: राजस्थान के किसान की कहानी, जो उगाते हैं दो लाख रुपये किलो बिकने वाला मशरूम, करते हैं भरपूर कमाई

सीकर, राजस्थान के मोटाराम शर्मा मशरूम मैन के नाम से मशहूर हैं. उनके पास ज्यादा जमीन नहीं थी. उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मशरूम की खेती का रास्ता चुना. उन्होंने हाईटेक तरीके से मशरूम के किसान और व्यवसायी के रूप में अपनी समृद्धि की राह तलाशी है.

मोटाराम शर्मा 16 प्रकार के मशरूम उगाते हैंमोटाराम शर्मा 16 प्रकार के मशरूम उगाते हैं
जेपी स‍िंह
  • New Delhi,
  • Dec 13, 2023,
  • Updated Dec 13, 2023, 1:41 PM IST

खेती में प्रति हेक्टेयर फसल की ज़्यादा पैदावार लेने के लिए किसान तरह तरह के तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं. कोशिश अधिक से अधिक मुनाफ लेने की होती है. लेकिन कभी पानी की कमी, तो कभी मौसम की मार से किसानों को हजारों-लाखों का नुकसान हो जाता है, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे किसान भी हैं, जो हार ना मानकर खेती में कुछ नया कर या फिर फ़सलों और खेती की तकनीकों में बदलाव कर बेहतर कमाई कर रहे हैं. ऐसे ही किसान हैं सीकर राजस्थान के. सीकर से 14 किलोमीटर दूर सालसार रोड गांव विजयपुरा में रहने वाले मोटाराम शर्मा मशरूम मैन के नाम से मशहूर हैं. उनके पास कभी खेती के लिए इतनी जमीन भी नही थी, जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें. लेकिन उन्होंने अपनी समृद्धि की राह तलाशी मशरूम की खेती से. वह भी ऐसी वैसी नहीं. एकदम हाईटेक तरीके से खेती की और आज मशरूम के एक सफल किसान और व्यवसायी के रूप में मशहूर हैं.

जानिए मशरूम मैन मोटाराम शर्मा की कहानी

मोटाराम शर्मा ने किसान तक को बताया कि साल 1995 में जयपुर में ट्रेनिग लेकर आयस्‍टर मशरूम की खेती से अपना काम शुरू किया था. उन्होंने बताया कि एक छोटे से कमरे में मशरूम उगाना शुरू किया. इसे वह घर-घर जाकर बेचते थे. उनके क्षेत्र में मशरूम के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं थी. कई लोगों को लगा कि ये 'नॉनवेज' है. उन्होंने बताया, 'इसलिए मैंने गांवों और शहरों में घर-घर जाकर इसकी मार्केटिंग की. धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे और मशरूम खरीदने लगे.' इसके बाद मशरूम का व्यावसायिक उत्पादन करने के लिए उन्होंने साल 2003 में राष्ट्रीय खुंब निदेशालय सोलन हिमाचल प्रदेश से मशरूम उत्पादन की तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करने के लिए विधिवत प्रशिक्षण लिया. 

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उन्होंने बताया कि इस संस्थान में सीखने को मिला कि कैसे कम जगह और कम लागत में मशरूम उत्पादन कर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं. इसके बाद उन्होंने मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन का काम शुरू किया. एक बार व्यवासयिक मशरूम उत्पादन का काम शुरू करने के बाद मोटाराम ने कभी मुड़ कर नहीं देखा और अपने मेहनत औऱ अनुभव की बदौलत अपनी कमाई में लगातार इजाफा करते गए. नए-नए मशरूम  की खेती, नई-नई तकनीके और मशरूम की नई-नई प्रजातियों का उत्पादन उन्होंने किया और मशरूम मैन बन गए.

मशरूम के क्षेत्र में डॉक्टर की उपाधि

ऑयस्‍टर मशरूम में सफलता के बाद उन्होंने बटन मशरूम उगाना भी शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी डेढ़ बीघे जमीन पर 10-11 कमरे बनाए. इनमें उन्होंने बटन मशरूम की खेती की.  उन्होंने कहा कि बटन मशरूम को जयपुर और दिल्ली के बाजारों में भी बेचा और हर जगह बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला. मोटाराम ने कहा, 'हर एक या दो साल में मैं नई किस्म के मशरूम उगाने की कोशिश करता हूं और ऐसा करते-करते अब मैं 16 तरह के मशरूम उगा रहा हूं.' मोटाराम ने मशरूम की कई प्रजातियों जैसे, गनोड्रेमा, ऋषि मशरूम, पिंक मशरूम, शाजर काजू, काबुल एंजाई, ब्लैक ईयर, ऑयस्टर, डीजेमोर, सिट्रो, सागर काजू सरीखी 16 किस्म की मशरूम उगाते हैं.

मोटाराम शर्मा मशरूम की खेती में किए गए कार्यों के चलते चर्चा में आए. उनके नाम की चर्चा आस पास के इलाकों में होने लगी, वह बताते हैं कि जब मशरूम की खेती की शुरू की थी, उस समय वह पांचवीं पास थे. लेकिन इस ज्ञान की कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने पढ़ना शुरू किया. 50 साल की उम्र में उन्होंने दसवीं पास की, साल था 2010. इसके बाद विज्ञान संकाय से बारहवीं पास की. फिर इंदौर से मशरूम की खेती में नई नवाचार के लिए डॉक्टर की उपाधि मिली है. आज वे देशभर में मशरूम मशरूम मैन के नाम से चर्चित हैं.

कोडी सेफ यानी कीड़ा जड़ी मशरूम की किस्म

दो लाख रुपये किलो वाला मशरूम

मोटाराम ने मशरूम की नई प्रजाति कोडिसेफ के बारे में किसान तक को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में उगने वाली कोडीसेफ मशरूम बर्फ पिघलने के बाद एक कीड़े के मरने के बाद उसके सिर में पैदा होने वाली फफूंद होती है. कीड़े के आकार के आधार पर इसे स्थानीय भाषा में कीड़ा जड़ी के नाम से जाना जाता है. हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित राष्ट्रीय खुंब निदेशालय में इसका प्रशिक्षण लेने के बाद वहां से एक परखनली में कल्चर लेकर सीकर आए और सीकर के नानी गांव स्थित अपने खेत में ऑटोक्लेव पद्धति से ब्राउन राइस का बेस तैयार किया. कोडीशेफ मशरूम की खेती कर उन्होंने सबको चौंका दिया है.

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वह बताते हैं कि इसकी कीमत बाजार में लाखों में है. यह मशरूम कई बीमारियों के इलाज में काम आती है.सबसे बेहतरीन गुणवत्ता की कोडिसेफ मशरूम डेढ़ से दो लाख रुपए प्रति किलोग्राम दर से बाजार में बिकती है. इस मशरूम को उगाने के लिए एक लैब स्थापित की है. इसलिए इसमें निवेश भी ज्यादा है और कमाई भी ज्यादा है. कोडीसेफ मशरूम डायबिटीज, थायरॉइड,अस्थमा, ट्यूमर जैसी कई बीमारियों में कारगर मानी जाती है और यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है.

मशरूम से लाखों का कारोबार

आज मोटाराम शर्मा के के बनाए विभिन्न मशरूम प्रोडक्ट हाथों हाथ बिकते हैं. अपने परिवार के सदस्यों के अलावा मोटाराम शर्मा ने कई अन्य लोगों को भी इस कार्य में रोजगार दिया है. मोटाराम शर्मा महीनें मे लगभग 5 से 6 लाख रुपए का कारोबार करते हैं. उन्होंने कोडिसेफ मशरूम उत्पादन के लिए अपने गांव विजयपुरा में एक करोड़ रुपए लागत से हाईटेक प्रयोगशाला का एक प्लांट लगाया है. मशरूम उत्‍पादन के कार्य में इस योगदान के लिए भारत सरकार ने मोटाराम शर्मा जी को  सम्मानित भी कर चुकी है. मशरूम उत्पादन के लिए वह कृषि सम्राट और कृषि रत्न पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं. अब मोटाराम आसपास के किसानों को मशरूम उत्पादन के टिप्स भी दे रहे हैं. मोटाराम के पास कृषि विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में छात्र आते हैं, जिन्हें मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण निशुल्क दिया जाता है. इतना ही नही,  मशरूम उत्पादन में उनका नाम इतना मशहूर हो चुका है कि अब उन्होंने इसे बेचने के लिए बाजार जाना नहीं पड़ता, बल्कि खरीदार खुद उनके पास आते हैं.

 

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