सोयाबीन पर जारी राजनीति और दाम को लेकर तमाम उठा-पटक के बीच एक अच्छी खबर है. यह खबर सोयाबीन में फैलने वाली बीमारी और उसकी पहचान को लेकर है. सोयाबीन बेहद कच्ची फसल है जिसे अधिक दिनों तक संभाल कर रखना चुनौती का काम है. अगर फसल के दौरान उसमें कोई रोग या कीट लग जाए तो यह चुनौती और भी कठिन हो जाती है. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए एक ऐसी मशीन बनाई गई है जो सोयाबीन की बीमारियों का अचूक उपाय बताएगी. यह मशीन पहले ही बता देगी कि फसल में क्या बीमारी लगी है. किसान इस सूचना की मदद से बीमारी का इलाज कर पाएंगे.
आईसीएआर-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल ने खेत में सोयाबीन में लगने वाले रोगों की पहचान के लिए एक हैंडहेल्ड मशीन और मोबाइल ऐप बनाई है. इस मशीन का उपयोग करके किसान सोयाबीन के पांच प्रकार के रोगों की जानकारी पा सकते हैं. यह मशीन फ्रॉगआई लीफ स्पॉट, सोयाबीन मोजैक वायरस और येलो मोजैक वायरस का पूर्वानुमान लगाने में भी सक्षम है. सोयाबीन की उपज रोगों और कीटों के संक्रमण और अचानक मौसम बदलाव जैसे महत्वपूर्ण कारकों के कारण प्रभावित हो रही है.
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इस मशीन की मदद से किसान रोगों का शुरुआती समय में ही पता लगाकर और लक्षणों की तुरंत पहचान करके सही समय पर जरूरी कदम उठा सकते हैं. इससे किसानों को बहुत लाभ होगा क्योंकि उनकी फसल समय रहते बच जाएगी. कीट और रोगों की वजह से सोयाबीन जैसी फसलें बड़े पैमाने पर बर्बाद होती है. अगर किसान को बीमारी का पूर्वानुमान हो जाए तो तुरंत इलाज शुरू कर देगा.
बीमारियों के अलावा कीटों से भी सोयाबीन को भारी नुकसान होता है. सोयाबीन के अलावा कई फसलें कीटों की मार से मारी जाती हैं. खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का अनुमान है कि हर साल कीट दुनियाभर में 20 से 40 प्रतिशत फसल नुकसान के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसलिए, खेतों पर कीटों की निगरानी और पहचान कृषि की उपज बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है.
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अभी किसान, फसल की रोगों और कीटों की पहचान के लिए निरीक्षकों से सुझाव लेते हैं. यह छोटे किसानों के लिए महंगा और कठिन काम होता है. इसे देखते हुए वैज्ञानिक समय-समय पर मशीन बनाते हैं जो फसलों में कीटों और रोगों की पहचान में मदद करते हैं. सोयाबीन की मशीन इसी कोशिश का नतीजा है जिससे किसान समय रहते रोगों के बारे में जान सकेंगे.