Smart Farming: अब किसान होंगे स्मार्ट, जब मिलेगा तकनीक का साथ, बढ़ेगी पैदावार

Smart Farming: अब किसान होंगे स्मार्ट, जब मिलेगा तकनीक का साथ, बढ़ेगी पैदावार

स्मार्ट फार्मिंग, जिसे डिजिटल फार्मिंग भी कहा जाता है, यह कृषि क्षेत्र में तकनीकी उन्नति को लागू करने की प्रक्रिया है. इसमें सेंसर्स, ड्रोन, जीपीएस तकनीक, डेटा एनालिटिक्स और अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके खेती में उत्पादकता को बढ़ाया जाता है और प्रभावी बनाया जाता है. यह पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक सटीक और पर्यावरण के अनुकूल है. ऐसे में आइए जानते हैं स्मार्ट फार्मिंग में होने वाले तकनीकों के इस्तेमाल के बारे में.

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प्राची वत्स
  • Noida,
  • Mar 04, 2025,
  • Updated Mar 04, 2025, 11:56 AM IST

आज के समय में कृषि क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहे हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में स्मार्ट फार्मिंग ने किसानों को कई नई तकनीकों और उपकरणों का लाभ दिलाया है. स्मार्ट फार्मिंग का उद्देश्य किसानों को कम खर्च में अधिक लाभ दिलाना है जिसके लिए नई-नई तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है. इतना ही नहीं सरकार भी खुद किसानों को नई और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रही है ताकि किसान कम खर्च में अधिक मुनाफा कमा सकें. इसी कड़ी में आइए जानते हैं क्या है स्मार्ट फ़ार्मिंग, स्मार्ट फ़ार्मिंग से होने वाले फायदे और इससे जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी. 

स्मार्ट फार्मिंग क्या है?

स्मार्ट फार्मिंग, जिसे डिजिटल फार्मिंग भी कहा जाता है यह कृषि क्षेत्र में तकनीकी उन्नति को लागू करने की प्रक्रिया है. इसमें सेंसर्स, ड्रोन, जीपीएस तकनीक, डेटा एनालिटिक्स और अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके खेती में उत्पादकता को बढ़ाया जाता है और प्रभावी बनाया जाता है. यह पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक सटीक और पर्यावरण के अनुकूल है. ऐसे में आइए जानते हैं स्मार्ट फार्मिंग में होने वाले तकनीकों के इस्तेमाल के बारे में.

ड्रोन 

खेतों की निगरानी और फसलों की सेहत जांचने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है. ड्रोन की मदद से खेतों में क्या चल रहा है और फसलों को किस चीज की जरूरत है, यह हर पल देखा जा सकता है जिससे किसानों को फसलों की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी मिलती है. इतना ही नहीं, ड्रोन का इस्तेमाल छिड़काव (कीटनाशक, खाद) के लिए भी किया जाता है, जिससे कीटनाशक और खाद का सही मात्रा में छिड़काव होता है, जिससे लागत कम आती है और पर्यावरण की भी रक्षा होती है.

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स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम

स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम में सेंसर्स का इस्तेमाल करके मिट्टी की नमी और मौसम की स्थिति के आधार पर पानी की खपत को कंट्रोल किया जाता है. इससे पानी की बचत होती है और फसलों के विकास के लिए सही मात्रा में पानी मिलता है. यह तकनीक पानी बचाने में भी मदद करती है.

जीपीएस 

GPS तकनीक का इस्तेमाल खेतों की सही स्थिति और फसल की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है. GPS के जरिए किसानों को अपने खेतों में सटीक स्थान की जानकारी मिलती है, जिससे भूमि का सही तरीके से उपयोग होता है. यह तकनीक खेतों में काम करने की क्षमता को बढ़ाती है और उत्पादन में सुधार करती है.

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डेटा एनालिटिक्स 

स्मार्ट खेती में डेटा का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है. किसानों द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा को समझा जाता है कि कौन सी फ़सल ज़्यादा उत्पादक है और किस मौसम में कौन सी फ़सल बोना ज़्यादा फ़ायदेमंद रहेगा. इससे न सिर्फ़ उत्पादन बढ़ता है, बल्कि किसानों को बेहतर फ़ैसले लेने में भी मदद मिलती है.

स्मार्ट फार्मिंग की चुनौतियां

स्मार्ट खेती के कई फायदे हैं, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हैं. सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी जानकारी और ट्रेनिंग की कमी हो सकती है. इसके अलावा, इन उपकरणों की उच्च शुरुआती लागत भी किसानों के लिए बाधा बन सकती है. लेकिन, इन समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा कई योजनाएं और सब्सिडी दी जा रही हैं.

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