क्लाईमेट चेंज के चलते सेब की खेती और उत्पादन पर बीते कुछ वर्षों में विपरीत असर दिखा है. सेब किसानों का लाभ बढ़ाने के लिए एग्रीटेक सॉल्यूशन कंपनी इंडो-डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी (IDHTPL) ने किसानों को अल्ट्रा हाई डेंसिटी प्लांटेशन तकनीक और सुझाव दिए हैं. इससे किसान सेब के पौधे से एक साल के भीतर ही प्रति पेड़ 10 किलो से ज्यादा उत्पादन हासिल कर पा रहे हैं. जबकि, जैसे-जैसे पेड़ की उम्र बढ़ेगी उससे उत्पादन मिलना भी बढ़ता जाएगा.
इंडो-डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज (IDHTPL) उत्तराखंड के अपने भीमताल केंद्र पर उन्नति सेब पहल के जरिए किसानों को सम्मानित किया और कृषि की पढ़ाई कर रहे छात्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया. IDHTPL के सीईओ और संस्थापक डॉ. सुधीर चड्ढा ने युवाओं से कृषि से जुड़े रहने का आग्रह करते हुए कहा कि अपनी जमीन मत छोड़ो, कृषि का बेहतर भविष्य है. इस पहल के जरिए कुमाऊं क्षेत्र के 15 सफल किसानों और 14 बागवानी छात्रों को उन्नति सेब किसान पहल और सामुदायिक शिक्षण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एक साथ लाया गया. इसका उद्देश्य सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए इनोवेशन, तकनीकी परंपरा को एकसाथ लाया जा सके.
IDHTPL के निदेशक सुशांत चड्ढा ने छात्रों के साथ कृषि चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि किसान कृषि को आगे बढ़ाने के लिए उनके समर्पण और अपनाने को स्वीकार किया. किसानों ने कोका-कोला इंडिया (CCIPL) और इंडो-डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज (IDHTPL) की संयुक्त उन्नति सेब पहल के तहत अल्ट्रा हाई डेंसिटी प्लांटेशन (UHDP) सेब तकनीक को अपनाने पर जोर दिया. किसानों ने इस तकनीक को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने में सफलता हासिल की है.
सेब किसान अजय के. पांडे ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान रामगढ़ में 14 साल के फार्मास्युटिकल करियर से सेब की खेती में जुड़ने के अनुभव को साझा किया. पंगोट के सेब किसान संतोष एस बिष्ट ने स्थानीय संशय को दूर करते हुए कम ऊंचाई पर सेब की खेती सफलतापूर्वक की. IDHTPL डेमो बाग से प्रेरित होकर उन्होंने अपना खुद का बाग स्थापित किया. भेड़ापानी, रामगढ़, भीमताल और मुक्तेश्वर जैसे क्षेत्रों के सेब किसान IDHTPL की बागवानी तकनीक और सुझाव अपनाकर अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं, जो साबित करते हैं कि उत्तराखंड में सेब की खेती व्यवहार्य और लाभदायक दोनों है.
सफल सेब किसान देवेंद्र चौसाली ने रोपाई के एक साल के भीतर प्रति पेड़ लगभग 10 किलोग्राम सेब फल की उपज हासिल की. उन्होंने कहा कि अल्ट्रा हाई डेंसिटी प्लांटेशन तकनीक के जरिए पौधा लगाने के पहले साल में ही प्रति पेड़ 10 किलो से ज्यादा का उत्पादन हासिल किया है. पेड़ की उम्र बढ़ने के साथ ही उत्पादन बढ़ता जाता है. उन्होंने कहा कि IDHTPL की बागवानी तकनीक से उगाए गए सेब की क्वालिटी बेहतर होती है और देखने में साफ-सुथरा रहता है. हल्द्वानी मंडी में इस सेब की कीमत 150-200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. जबकि पारंपरिक सेब की कीमत 20-45 रुपये प्रति किलोग्राम थी.