
वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) अदलपुरा ने फसलों पर संक्रमण और बचाव के लिए एक नई पहल की शुरूआत की है. इसी क्रम में बुधवार को आईआईवीआर, वाराणसी और एबीएम नॉलेजवेयर, मुंबई ने स्पोर ट्रैप डिवाइस की स्कैनिट टेक्नोलॉजी के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार और एबीएम नॉलेजवेयर की ओर से अन्वय ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए.
इस अवसर पर आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि पौधों की बीमारियों का पता लगाने और प्रबंधन करने के लिए यह एक अत्याधुनिक तकनीक है. यह सहयोग स्पोर ट्रैप डिवाइस सब्जियों में फफूंदीजनित रोगों का परीक्षण और वेडिलेशन प्राप्त करने के लिए है. उन्होंने बताया कि यह टेक्नोलॉजी एकीकृत रोग प्रबंधन रणनीतियों को और अधिक सुदृढ़ बनाएगी, जिससे किसानों और कृषि समुदाय को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा. यह डिवाइस वायुजनित फफूंदी रोग का पता, रोग के स्पष्ट लक्षण दिखने से पहले ही लगा सकती है, जिससे समय रहते रोकथाम के उपाय किए जा सकते हैं और गंभीर रोग प्रकोपों का जोखिम कम होता है.
इसके अलावा, यह कीटनाशकों के छिड़काव से पूर्व और बाद में रोगजनकों पर होने वाले प्रभाव का मूल्यांकन करने में भी सहायक होगी जिससे पौध संरक्षण प्रथाओं को अधिक वैज्ञानिक ढंग से अनुकूलित किया जा सकेगा. संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश ने बताया कि एआई-संचालित (एआई) का एकीकरण डेटा विश्लेषण को और उन्नत बनाएगा जिससे स्पोर काउंट और पर्यावरणीय मापदंडों का वास्तविक समय में विश्लेषण संभव होगा. यह एआई-आधारित दृष्टिकोण रोग पूर्वानुमान मॉडलों की सटीकता को बढ़ाएगा और किसानों को उचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा.
उन्होंने बताया कि यह तकनीक उन्नत रोग पूर्वानुमान में भी मदद करेगा. जिससे किसान पहले से रोग प्रबंधन की योजना बना सकें. फफूंदीनाशकों का सही समय पर सही मात्रा में छिड़काव न केवल फसलों की उपज बढ़ाएगा बल्कि किसानों की आय में भी वृद्वि करेगा. इस वैज्ञानिक तरीकें से नवाचार विधि का उपयोग किसानों की अनावश्यक व्यय कम करेगा और अधिक मात्रा में फफूंदीनाशकों के उपयोग से होने वाले पर्यावरण, जल और मिट्टी के प्रदूषण को भी प्रभावी रूप से मदद करेगा.
ये नवाचार अधिक प्रभावी रोग नियंत्रण, कम फसल हानि और कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करेंगे. एमओयू पर हस्ताक्षर कृषि अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी और एआई-संचालित तकनीकों का उपयोग करके किसानों को व्यावहारिक समाधान प्रदान करेगा.
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