किसानों को अधिक से अधिक सहूलियत देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर( Kanpur IIT) ने एक ऐसा आविष्कार किया है जिसके जरिए मिट्टी की गुणवत्ता को बहुत आसानी से परखा जा सकता है. इस डिवाइस का आविष्कारक करने वाले IIT कानपुर के प्रोफेसर जयंत कुमार ने बताया कि यह सॉइल नूट्रीअन्ट सेंसिंग डिवाइस एक कॉम्पैक्ट, स्मार्टफोन-कम्पैटिबल मशीन है जो वास्तविक समय में मृदा पोषक तत्व विश्लेषण प्रदान करता है, जो भारतीय किसानों के लिए समय पर मिट्टी परीक्षण में महत्वपूर्ण कमी को दूर करता है. गुरुवार को आईआईटी कानपुर ने स्कैनक्स्ट साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक एमओयू साइन किया हैं.
उन्होंने बताया कि पारंपरिक रूप से जिला प्रयोगशालाओं पर निर्भर रहने वाले किसानों को अक्सर मृदा स्वास्थ्य आकलन प्राप्त करने में देरी का सामना करना पड़ता है. पोर्टेबिलिटी और उपयोग में आसानी के लिए डिज़ाइन किया गया, यह उपकरण एक साथ कई मिट्टी के मापदंडों का आकलन कर सकता है, एक क्लाउड सर्वर पर डेटा संग्रहीत कर सकता है, एक बार चार्ज करने पर 250 परीक्षण तक की सुविधा प्रदान करता है.
प्रोफेसर जयंत बताते हैं कि यह अग्रणी उपकरण नियर-इन्फ्रारेड (NIR) स्पेक्ट्रोस्कोपी का लाभ उठाता है ताकि मृदा स्वास्थ्य की तत्काल जानकारी सीधे स्मार्टफोन पर दी जा सके, जिससे रासायनिक अभिकर्मकों और जटिल परीक्षण प्रक्रियाओं की आवश्यकता समाप्त हो जाती है. सटीक पोषक तत्व प्रबंधन को सक्षम करके, प्रौद्योगिकी में कृषि को बदलने, फसल उत्पादकता बढ़ाने, उर्वरक के अति प्रयोग को कम करने और किसानों की आय में सुधार और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों में योगदान करने की क्षमता है.
यह स्मार्टफोन पर मिट्टी के स्वास्थ्य की तत्काल जानकारी देने के लिए नियर इन्फ्रारेड (एनआईआर) स्पेक्ट्रोस्कोपी का लाभ उठाती है, जिससे फसल उत्पादकता बढ़ाने, उर्वरक के उपयोग को कम करने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए सटीक पोषक तत्व प्रबंधन संभव होता है.
स्कैनएक्सट साइंटिफिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (ScaNxt) के संस्थापक एवं सीईओ रजत वर्धन ने बताया कि दुनिया भर के किसानों को वास्तविक मृदा स्वास्थ्य जांच के साथ सशक्त बनाया जा सकेगा जो कृषि पद्धतियों को बदल देगा. इस संयुक्त समझौता ज्ञापन के माध्यम से आईआईटी कानपुर के साथ हमारा सहयोग हमें मृदा परीक्षण तकनीकों को और आगे बढ़ाने की अनुमति देगा, जिससे हमारे भूपरीक्षक उपकरण में सूक्ष्म और द्वितीयक पोषक तत्व विश्लेषण को एकीकृत किया जा सकेगा.
उन्होंने कहा कि NIR स्पेक्ट्रोस्कोपी, IOT और AI/ML को मिलाकर किसान इस डिवाइस से मिट्टी का जांच कर सकेंगे. हमारा लक्ष्य किसानों को पोषक तत्व प्रबंधन को अनुकूलित करने और टिकाऊ कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए और भी अधिक सटीक और कार्रवाई योग्य डेटा प्रदान करना है. यह सहयोग मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा, किसानों को तत्काल, डेटा-संचालित जानकारी प्रदान करेगा तथा भारत और विश्व स्तर पर टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगा. वहीं अगले साल 2025 में यह उपकरण बाजार में आएगा.