भीलवाड़ा में इजरायली तकनीक से की जा रही खेती, उगाए जा रहे 30 प्रकार की सब्जी और फल 

भीलवाड़ा में इजरायली तकनीक से की जा रही खेती, उगाए जा रहे 30 प्रकार की सब्जी और फल 

संगम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. करुणेश सक्सेना ने कहा कि हमने एग्रीकल्चर फार्म में एक नवाचार किया है. इसमें मिट्टी के उपयोग न करके नारियल के भूसे से बनाए कोकोपीट का उपयोग किया जा रहा है.

भीलवाड़ा में इजरायली तकनीक से की जा रही खेतीभीलवाड़ा में इजरायली तकनीक से की जा रही खेती
प्रमोद तिवारी
  • Bhilwara,
  • Dec 29, 2023,
  • Updated Dec 29, 2023, 5:41 PM IST

देश की टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा में कपड़ों के साथ-साथ अब खेती में नवाचार किया जा रहा है. यहां के किसान इजरायली तकनीक से बिना मिट्टी और पानी से खेती कर रहे हैं. यहां देश-विदेश की 30 तरह की सब्जियों और फलों की खेती की जा रही है. किसानों द्वारा उगाई गए इन उत्पादों को भीलवाड़ा के साथ ही दिल्ली, गुजरात, मुंबई के कई शहरों तक भेजा जा रहा है. किसान इससे लाखों रुपये का मुनाफा भी कमा रहे हैं. इस इजरायली तकनीक से ऑफ सीजन में भी सभी तरह की सब्जियों से उपज ली जा सकती है.

इस एग्रीकल्चर फार्म में सबसे पहले एक स्टैंड बनाया गया है, जिससे कि इसमें लगातार पानी बहता रहे. साथ ही पौधों को कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर, आयरन के अलावा कई अन्य पोषक तत्व पौधे को मिलते रहें. इस विधि के कारण पानी की 80 प्रतिशत बचत भी हो जाती है. इसके फार्म हाउस का तापमान 15 से 32 डिग्री सेल्सियस तक रखा जाता है.

एग्रीकल्चर फार्म में एक नवाचार

संगम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. करुणेश सक्सेना ने कहा कि हमने एग्रीकल्चर फार्म में एक नवाचार किया है. इसमें मिट्टी के उपयोग न करके नारियल के भूसे से बनाए कोकोपीट का उपयोग किया जा रहा है. हम इसी फार्म के माध्यम से छात्रों को शिक्षित भी कर रहे हैं, जिससे भविष्य में उन्नत खेती की जा सकती है. हम चाहते हैं कि कृषि को एक व्यावसायिक दर्जा प्रदान करके, उससे ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकें. इसको लेकर हम नीत नए प्रयोग करते आ रहे हैं.

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कम जगह और कम पानी से अधिक उपज

एग्रीकल्चर फार्म की देखरेख में लगे विक्रम सिंह ने कहा कि यह तकनीक इजरायल देश से ली गई है. इसमें कम जगह और कम पानी से हम अधिक से अधिक उपज प्राप्त करते हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर टमाटर, स्ट्रॉबेरी, खीरे के साथ कई फसलें लगाई गई हैं, इससे हमें काफी अच्छे परिणाम मिले हैं. 

बिना मिट्टी के हो रही है खेती

वहीं खेती सीख रहे छात्र पायल विजयवर्गीय, पूजा गुर्जर ने कहा कि उन्होंने खीरे के पौधे लगाए हैं. इसे उन्होंने कोकोपीट में लगाया है. दरअसल पहले इनके पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है, फिर यहां पर लगाए जाते हैं. प्रत्येक पौधा 4 से 5 किलो कुकुम्बर देता है. वहीं छात्र अमन कुमार ने कहा कि वे यहां पर बिना मिट्टी की खेती कर रहे हैं. यह खेती बिना मिट्टी के केवल पानी में होती है. इस खेती के लिए तापमान 15 से 25 डिग्री रखना पड़ता है. तापमान को बरकरार रखने के लिए कूलर और पंखे लगाए गए हैं.

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