लीची के लिए बेहद नाजुक है यह महीना, इन खास तरीकों से करें फलों की देखभाल

लीची के लिए बेहद नाजुक है यह महीना, इन खास तरीकों से करें फलों की देखभाल

लीची स्टिक बग के नवजात और व्यस्क कीट दोनों ही पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. यह अधिकांश पौधों के कोमल हिस्सों जैसे बढ़ती कलियों, पत्तियों, फूल, मंजर, विकसित होते फल, फलों के डंठल और लीची के पेड़ की कोमल शाखाओं के रस को चूसते हैं और फसल को प्रभावित करते हैं. कीटों द्वारा रस चूसे जाने के कारण फल और फूल दोनों ही काले होकर गिर जाते हैं.

क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 26, 2024,
  • Updated Feb 26, 2024, 3:40 PM IST

लीची का सीजन आने वाला है. अब कुछ दिन बाद लीची के पेड़ों में फल लगने लगेंगे. इस वक्त लीची के पेड़ों में मंजर आना शुरू हो गया है. ऐसे समय में इन पेड़ों की विशेष देखभाल करनी पड़ती है क्योंकि अगर मंजर सही नहीं होगा तो पेड़ में फल सही से नहीं लगेंगे. इस वक्त लीची के पेड़ों में कीट और रोग का प्रकोप भी होने की संभावना रहती है. इसलिए लीची की बागवानी करने वाले किसानों को पेड़ों पर वशेष ध्यान देना चाहिए. बिहार राज्य कृषि विभाग की तरफ से एक्स हैंडल पर किए गए पोस्ट के मुताबिक, इस समय लीची के लीची स्टिक बग, दहिया कीट, लीची माइट और फल छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इससे पेड़ों को बचाने की जरूरत होती है. 

एक्सपर्ट के दिए सुझाव के मुताबिक, लीची स्टिक बग के नवजात और व्यस्क कीट दोनों ही पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. यह अधिकांश पौधों के कोमल हिस्सों जैसे बढ़ती कलियों, पत्तियों, फूल, मंजर, विकसित होते फल, फलों के डंठल और लीची के पेड़ की कोमल शाखाओं के रस को चूसते हैं और फसल को प्रभावित करते हैं. कीटों द्वारा रस चूसे जाने के कारण फल और फूल दोनों ही काले होकर गिर जाते हैं. पूर्वी चंपारण के कुछ प्रखंडों में पिछले साल से इस कीट का प्रकोप देखा जा रहा है. हालांकि कीटनाशक का छिड़काव करने पर यह कीट तुंरत मर जाते हैं. अगर बागान के एक भी पेड़ का एक भी कीट बच जाता है तो पूरे बागान में यह तुरंत फैल जाता है क्योंकि इनकी आबादी काफी तेजी से बढ़ती है. एक कीट पूरे बाग को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त होता है. 

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फूल खिलने के समय नहीं करें छिड़काव

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर की तरफ से लीची स्टिक बग कीट के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करने की अनुशंसा की गई है. केंद्र की तरफ से कहा गया है कि किसान अपने पेड़ों में 15 दिनों के अंतराल पर दो छिड़काव करें. इसके साथ ही किसान इस बात को लेकर सावधानी बरतें कि जिस समय पौधों में फूल खिल रहा है, उस समय उनमें परागण होता है. इस समय पर छिड़काव नहीं करना चाहिए. 

इन कीटनाशकों का करें छिड़काव

  • थियाक्लोप्रिड 21.7 प्रतिशत एससी का 0.5 मिली प्रति लीटर और लैंम्बडा साइहैलेथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी का एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
  • थियाक्लोप्रिड 21.7 प्रतिशत एससी का 0.5 मिली प्रति लीटर और फ्रिपोनिल 5 प्रतिशत एससी का 1.5 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
  • डाइमेथाइट 30 प्रतिशत एससी का 1.5 मिली प्रति लीटर और लैंम्बडा साइहैलेथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी का एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
  • डाइमेथाइट 30 प्रतिशत एससी का 1.5 मिली प्रति लीटर और साइपरमेथ्रिन 10 प्रतिशत ईसी का 1.0 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 

दहिया कीट से ऐसे करें बचाव

इसके अलावा लीची में दहिया कीट का भी प्रकोप होता है. इस कीट के शिशु और मादा कीट लीची के पौधों की कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं. इसके कारण मुलायम तने और मंजर सूख जाते हैं और फल गिर जाते हैं. इस कीट के प्रबंधन के लिए बागान के मिट्टी की निकाई गुड़ाई करें. इससे कीट के अंडे नष्ट हो जाते हैं. पौधें के मुख्य तने के नीचे वाले भाग में    प्लास्टिक की पट्टी लपेट दें और उसके ऊपर कोई चिकना पदार्थ जैसे ग्रीस लगा दें. इससे कीट के शिशु पेड़ के ऊपर नहीं चढ़ पाते हैं. इसके अलावा कीट के नुकसान से पेड़ों को बचाने के लिए पेड़ को जमीन से तीन चार फीट ऊपर के भाग को चूना रंग की पुताई कर दें. इसके अलावा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल का एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. 

लीची माइट के प्रकोप से बचाव के उपाय

इस समय लीची के पौधौं में लीची माइट का प्रकोप होता है. इसके कीट पत्तियों के निचले भाग पर रहकर रस चूसते हैं. इसके कारण पत्तिया भूरे रंग के मखमल की तरह हो जाती हैं. अंत में सूख कर और सिकुड़कर गिर जाती हैं. इसे इरिनियम के नाम से जाना जाता है. इस कीट का प्रकोप होने पर कीट से ग्रस्त पत्तियों और टहनियों को काटकर जला देना चाहिए. शुरुआती दौर में इस कीट का संक्रमण दिखाई देने पर सल्फर 80 चूर्ण का प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. 

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इस तरह करें फली और बीज छेदक कीट का प्रबंधन

लीची में फल होने के बाद फल और बीज छेदक कीट का भी प्रकोप पेड़ों में होता है. यह कीट नए फलों में घुसकर उसे खाते हैं. इसके कारण फल गिर जाते हैं. फलों की तुड़ाई में देरी करने पर या वातावरण में अधिक नमी होने पर इसके कीट डंठल के पास से छेदकर फल के अंदर घुस जाते हैं और इसे खाते हैं. इसके कारण लीची की कीमत कम हो जाती है. इस कीट के प्रबंधन के लिए बागान की नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए. कीट का प्रकोप होने पर डेल्टा मेथ्रिन 2.8 प्रतिशत ईसी का एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. यह छिड़काव फलन की अवस्था में करना चाहिए. 
 

 

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