समय के बदलते दौर में, जहां हर क्षेत्र में तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, वहीं अब कृषि क्षेत्र में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग पर चर्चा तेज हो गई है. इसी कड़ी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर (BAU) ने एआई के उपयोग से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए पहल की है. इस संदर्भ में शनिवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें अनुसंधान निष्कर्षों की सटीकता और प्रभावशीलता को बेहतर बनाने में एआई की भूमिका पर विचार किया गया. साथ ही वैज्ञानिकों ने इस कार्यशाला के माध्यम से कृषि प्रथाओं, अनुसंधान पद्धतियों और विस्तार सेवाओं में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपनी राय दी.
सी-डैक केंद्र पटना के प्रमुख और वैज्ञानिक-जी आदित्य कुमार ने भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए "भारत एआई विजन" पर चर्चा की. इसी कड़ी में सकारात्मक कदम उठाते हुए, बिहार कृषि विश्वविद्यालय और सी-डैक ने बीएयू सबौर में ‘कृषि सूचना विज्ञान और एआई अनुसंधान केंद्र (CAIR)’ नामक एक एआई प्रयोगशाला स्थापित करने की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह केंद्र कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में एआई-आधारित नवाचारों पर केंद्रित होगा.
बीएयू, सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा, "कृषि में एआई का प्रयोग केवल एक नवाचार नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है. एआई-आधारित समाधानों का उपयोग करके हम उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि कर सकते हैं. साथ ही संसाधनों का परिस्थितियों के अनुसार बेहतर उपयोग कर सकते हैं और अनुसंधान और विस्तार सेवाओं को मजबूत कर सकते हैं. इससे किसानों, शोधकर्ताओं और छात्रों को समान रूप से लाभ होगा."
बिहार बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने कहा, "कृषि और एआई के सम्मिलित प्रयासों से महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. बीएयू के वैज्ञानिक सी-डैक के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एआई तकनीकों का उपयोग स्मार्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने और कृषि विकास में अत्याधुनिक अनुसंधान को एकीकृत करने के लिए कर सकते हैं.
इन सत्रों के माध्यम से कृषि और एआई के संयोजन से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और संभावनाओं को समझने में मदद मिलेगी. यह सहयोग भविष्य में एआई-आधारित अनुसंधान और विकास का रास्ता खलेगा, जिससे कृषि वैज्ञानिकों, किसानों और विस्तार पेशेवरों की शिक्षा को समर्थन मिलेगा.