लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा. 19 अप्रैल को मतदान होना है जिसके नामांकन का काम आज यानि 27 मार्च को पूरा हो जाएगा. पहले चरण में देश की कुल 102 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इनमे पीलीभीत, नगीना, बिजनौर और कैराना लोकसभा सीट भी शामिल हैं. आईए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश की इन 4 लोकसभा सीटों का सियासी समीकरण.
लोकसभा सभा चुनाव में यूपी की सीटों में पीलीभीत सीट सबसे हॉट सीट बन गई है, क्योंकि वरुण गांधी का पत्ता बीजेपी ने साफ कर दिया है और कुछ साल पहले कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
पीलीभीत को यूपी का पंजाब भी कहा जाता है,क्योंकि विभाजन के बाद पाकिस्तान से आये सिखों ने इसे आबाद किया, उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला सबसे ज्यादा बाघों की तादात के लिए जाना जाता है. इसके अलावा गोमती नदी के उद्गम जल,जंगल,जमीन से सजा ये जिला अपनी खूबसूरती के लिये देश दुनिया मे विख्यात है.धान, गेंहू,गन्ना यहां की प्रमुख फसल है, लेकिन बात अगर राजनीति की करें तो यह क्षेत्र मेनका और वरुण गांधी के लोकसभा क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है. लेकिन इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटकर यहां से जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. समाजवादी पार्टी ने भी यहां से कुर्मी बिरादरी पर दांव लगाया है, सपा ने भगवत शरण गंगवार को अपना प्रत्याशी बनाया है.
पीलीभीत लोकसभा की सीमाएं नेपाल और उत्तराखंड से जुड़ी हैं, लखीमपुर, शाहजहांपुर बरेली इसके पड़ोसी जिले हैं. बहेड़ी क्षेत्र छोड़ के पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र की आबादी 25 लाख के आसपास है और वोट 18 लाख से ज्यादा हैं. जातिगत आकड़ों पर नजर डाले तो 5 लाख के आसपास मुस्लिम, लोध- किसान 3 से 4 लाख के बीच और कुर्मी वोट लगभग 2 लाख हैं.
वरुण गांधी को लेकर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं, ऐसे में यह सीट सबसे चर्चित सीटों में एक है. वरुण गांधी ने पिछली बार तकरीबन ढाई लाख वोटों से ये सीट जीती थी. अब जितिन प्रसाद क्या जीत के इस लीड को बढ़ा पाते हैं या फिर भाजपा यह सीट गंवा देती है इस पर सबकी नजर रहेंगी.
बिजनौर से एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर आरएलडी के प्रत्याशी चंदन चौहान है, जबकि समाजवादी पार्टी ने दीपक सैनी को अपना उम्मीदवार बनाया है, बसपा ने यहां जाट प्रत्याशी चौधरी वीरेंद्र सिंह को दिया है. बीजेपी ने गुर्जर बसपा ने जाट और समाजवादी पार्टी ने ओबीसी प्रत्याशी उतारे हैं. आरएलडी को इस गठबंधन में दी गई दो सीटों में एक सीट बिजनौर की है.
बिजनौर लोकसभा में पांच विधानसभा सीटे हैं. इसमें अगर जातिगत वोटर की बात करें तो करीब साढ़े 4 लाख से 5 लाख के आसपास मुस्लिम वोटर हैं. जबकि तक़रीबन चार से साढे चार लाख के बीच दलित वोटर हैं. डेढ़ से पौने दो लाख के करीब जाट वोटर हैं. इसके अलावा 50 से 75000 के बीच में गुर्जर वोटर हैं और 50 से 60000 के बीच में ब्राह्मण वोटर हैं. वहीं, इसके अलावा चौहान त्यागी अन्य जातीय सहित कई अन्य जातियों का भी वोट इसमें शामिल है इस सीट पर मुस्लिम और दलित वोटर हमेशा निर्णायक रहा है.
बिजनौर लोकसभा के इतिहास की बात करें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से यानी 1991 से अब तक भारतीय जनता पार्टी चार बार इस सीट पर अपना कब्जा जमा चुकी है. जबकि इस बीच में समाजवादी पार्टी दो बार रालोद एक बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुका है और वर्तमान में इस सीट पर बसपा का कब्जा है, जिसके सांसद मलूक नागर हैं. लोकसभा अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहीं मायावती भी इस सीट का एक-एक बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.
नगीना सीट इसलिए खास है क्योंकि चंद्रशेखर आजाद रावण यहां से अपनी सियासी जमीन की तलाश कर रहे हैं वो पहली बार चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने ओम कुमार तो सपा ने मनोज कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने सुरेंद्र सिंह मेनवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है.
नगीना लोकसभा सीट सुरक्षित सीट है. नगीना को मुख्य रूप से काष्ठ कला के लिए जाना जाता है. नगीना में काष्ठ कला सालाना टर्नओवर 400 करोड़ से ज्यादा है. यहां के कारीगर हाथ की नक्काशी से सुंदर आकर्षक हैंडीक्राफ्ट बनाते हैं जो विदेशों में अपनी पहचान रखते हैं और यहां से विदेशों तक सप्लाई किए जाते हैं. इस सीट पर मुख्य रूप से दलित और मुस्लिम निर्णायक हैं. हालांकि, यह सीट सुरक्षित सीट है. लेकिन, इस सीट पर मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है. करीब साढ़े 7 लाख वोटर इसमें मुसलमान हैं. दलित वोटर की संख्या लगभग साढे चार लाख के आसपास है 2009 में यह सीट अस्तित्व में आई और इस पर पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह पहली बार विजय हुए थे. उसके बाद 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सांसद यशवंत सिंह ने सपा प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था. जबकि 2019 के चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन के चलते बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी गिरीश चंद्र इस सीट पर विजय रहे जो वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
ये इलाका हिन्दू और मुसलमान गुजर बहुल माना जाता है. सपा ने इकरा हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को. दोनों गुजर हैं लेकिन अब यहां की सियासत में बिरादरी से बड़ा धर्म का झोल है. कैराना लोकसभा में पांच विधानसभा मौजूद है, जिसमें कैराना, शामली, थाना भवन नुकुड और गंगोह विधानसभा सीट है. कैराना लोकसभा में जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. जिनकी संख्या करीब 5:45 लाख के आसपास है.उसके बाद दलित वर्ग के तकरीबन ढाई लाख वोटर है. कैराना में तकरीबन ढाई लाख के आसपास जाट वोटर है. 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस दौरान यहां पर भाजपा कैंडिडेट ने करीब 75000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी. (रिपोर्ट- कुमार अभिषेक, लखनऊ)