वर्मा जी का बाग देख बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी दंग! पढ़ें लखीमपुर खीरी के किसान की इनसाइड स्टोरी

वर्मा जी का बाग देख बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी दंग! पढ़ें लखीमपुर खीरी के किसान की इनसाइड स्टोरी

Lakhimpur Kheri Story: बकौल अमित वर्मा बताते हैं कि मेरे बाबा श्यामलाल प्रगतिशील किसान थे. उनकी उन्नत खेती को देखते हुए देश के पहले राष्ट्रपति स्व.राजेंद्र प्रसाद की अनुमति से देश के जिन चुनिंदा किसानों को उन्नत खेती के तौर तरीकों की जानकारी लेने के लिए 1956 में भारत दर्शन के लिए भेजा गया था, उसमें मेरे बाबा भी थे.

लखीमपुर खीरी जिले के किसान अमित वर्मा लखीमपुर खीरी जिले के किसान अमित वर्मा
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Jul 14, 2025,
  • Updated Jul 14, 2025, 3:40 PM IST

अगर इरादे मजबूत हों, तो हर मुश्किल राह आसान बन जाती है. इस बात को सच कर दिखाया है लखीमपुर खीरी जिले के किसान अमित वर्मा ने, जिन्हें आज पूरा देश ‘वर्मा जी बाग’ वाले के नाम से जानता है. तीन पीढ़ियों द्वारा सहेजे गए करीब 18 एकड़ में फैले वर्मा जी के बाग की विविधता. सीजन के अनुसार फसलों में आए रंग-बिरंगे फल एवं फूल. फिलहाल उनके बाग में सर्वाधिक करीब 1000 से अधिक आम की अलग किस्मों के पेड़ हैं. करीब तीन साल पहले सघन बागवानी के तहत आम्रपाली के 500 पौध लगाए. इसके अलावा कटहल के करीब 50, लीची के 25, आंवले 150 पेड़ हैं. जबकि करीब सवा एकड़ में बांस, 1.25 एकड़ बहुउपयोगी बांस के अलावा सागौन के भी 200 पेड़ हैं.

पिताजी ने वकालत की जगह पसंद किया खेती

अमित के मुताबिक उनके पिता सुरेश चंद्र वर्मा भी बाबा से प्रभावित थे. हालांकि उन्होंने एलएलबी किया था. पर वकालत की बजाय उन्होंने खेती करना ही पसंद किया. बाबा ने बाद के दिनों में परंपरागत खेती की जगह जिस बागवानी के क्षेत्र पर फोकस किया था, पिताजी ने उसे अपना शौक (हॉबी) बना लिया. बाबा की तरह उनकी भी मेहनत रंग लाई.

1958 में प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन में यूपी में मिला था दूसरा स्थान

अमित वर्मा के बाबा और पिता जी को खेतीबाड़ी में देश, प्रदेश और जिला स्तर पर ढेरों पुरस्कार भी मिले थे. यही नहीं पिताजी (सुरेश चंद्र वर्मा) की खेती से प्रभावित होकर दिल्ली दूरदर्शन ने एक डॉक्युमेंट्री भी बनाई थी.वर्मा परिवार लखीमपुर खीरी जिले का रहने वाला है. जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम बेहजम ब्लॉक का सकेथू ( नीमगांव) उनके गांव का नाम है.

बकौल अमित वर्मा बताते हैं कि मेरे बाबा श्यामलाल प्रगतिशील किसान थे. उनकी उन्नत खेती को देखते हुए देश के पहले राष्ट्रपति स्व.राजेंद्र प्रसाद की अनुमति से देश के जिन चुनिंदा किसानों को उन्नत खेती के तौर तरीकों की जानकारी लेने के लिए 1956 में भारत दर्शन के लिए भेजा गया था, उसमें मेरे बाबा भी थे.

परंपरागत खेती से पूरी तरह किया किनारा

देश भर के प्रगतिशील किसानों एवं नामचीन संस्थाओं के वैज्ञानिकों के संपर्क में आने के बाद खेतीबाड़ी के प्रति उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ.लगन रंग लाई और वर्ष 1958-1959 में प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन में उनको उत्तर प्रदेश में दूसरा स्थान मिला. इस समय तक परंपरागत खेती के साथ बागवानी के क्षेत्र में उन्होंने काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे परंपरागत खेती से पूरी तरह किनारा कर लिया.

खेती वह करें जो पेट ही नहीं जेब भी भरे...

वर्मा ने बताया कि मेरे पिता जी को बाबा सलह देते हुए कहते थे, अगर किसी वजह से खेती करनी ही पड़ जाए तो ऐसी फसलों को तरज़ीह देना जिससे किसान और लोगों का पेट तो भरे ही, किसान की जेब भी भरपूर भरे. क्योंकि, जब तक किसान यह नहीं करेगा, किसान का कोई मोल नहीं समझेगा. पिता और पुत्र दोनों ने अपने समय में कुछ नवाचार किए जिनका उनको सम्मान  मिला और पहचान भी. अब उसी सिलसिले को उनकी तीसरी पीढ़ी के अमित वर्मा भी आगे बढ़ा रहे हैं.

देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था सम्मानित

श्याम लाल वर्मा ने अपने पुत्र को यह सलाह तब दी थी जब करीब सात दशक पूर्व वह परंपरागत खेती के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी से सम्मानित किए जा चुके थे. इस उपलब्धि के नाते उनको चुनिंदा प्रगतिशील किसानों के साथ दूसरे प्रदेशों के प्रगतिशील किसानों और खेतीबाड़ी से जुड़ी संस्थाओं के वैज्ञानिकों से संवाद का भी मौका मिला था. इसके बाद ही उनका परंपरागत खेती के प्रति नज़रिया बदल गया.

दिल्ली दूरदर्शन बना चुका है डॉक्यूमेंट्री

दिल्ली दूरदर्शन ने खेतीबाड़ी में अमित वर्मा के पिताजी सुरेश चंद्र वर्मा के इन्नोवेशन (नवाचार) से प्रभावित होकर 'किरण' नामक डॉक्यूमेंट्री भी बनायी थी, सितंबर 2024 को पिता के निधन के बाद अमित वर्मा उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. तीसरी पीढ़ी के अमित वर्मा पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उनकी कभी डॉक्टर बनने की इच्छा थी तो कभी भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने की. पर अंततः उनको परिवार की ही विरासत संभालनी पड़ी.

बागवानी के साथ 'Decode Exam' की ऑनलाइन ट्रेनिंग

बागवानी के साथ वह अपनी कंपनी Decex Education Private Limited के तहत Decode Exam नामक, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली पीसीएस और समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा की तैयारी हेतु एक ऑनलाइन प्लेटफार्म का संचालन एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकों के प्रकाशन का भी काम करते हैं.

योगी सरकार की योजनाओं के मुरीद हैं अमित

अमित वर्मा खेतीबाड़ी के लिए योगी सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के मुरीद हैं. उनके मुताबिक सरकार द्वारा अनुदानित ऑन-ग्रिड कनेक्टेड कृषि पंपों के सौर्यीकरण की योजना  प्रदेश के किसानों के हित में एक शानदार पहल है. उन्होंने इसके लिए अप्लाई भी किया है. अगले चरण में वह सरकार की योजना के तहत ड्रिप इरीगेशन सिस्टम भी लगवाएंगे. 

ये भी पढे़ं-

Paddy Disease: धान की फसल पर फिजी वायरस का अटैक, सतर्क हो जाएं किसान; ऐसे करें बचाव

फिरोजाबाद की पियूशिखा ने लिखी आत्मनिर्भरता की कहानी, मछली पालन से आज सालाना कमाई 30 लाख, जानें कैसे

MORE NEWS

Read more!