फायदे में रहेंगे मोटा अनाज उगाने वाले किसान, यूपी सरकार ने की ये खास तैयारी

फायदे में रहेंगे मोटा अनाज उगाने वाले किसान, यूपी सरकार ने की ये खास तैयारी

भारत अगले साल अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाएगा. इसमें भारत को संयुक्त राष्ट्र का सहयोग मिल रहा है. इसी के साथ मिलेट्स की खेती के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी खास तैयारी की है. यहां पहले से ही मोटे अनाजों की खेती बंपर होती है. लेकिन 2023 में इसमें और अधिक बढ़ोतरी होगी क्योंकि इसे बढ़ावा देने पर खास ध्यान है.

मोटा अनाज मोटा अनाज
धर्मेंद्र सिंह
  • Lucknow,
  • Dec 31, 2022,
  • Updated Dec 31, 2022, 3:00 PM IST

साल 2023 को 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स' (अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष) के तौर पर मनाया जाएगा. इस दिशा में उत्तर प्रदेश में भी खास तैयारी शुरू हो गई है. मोटे अनाजों की खेती के लिए प्रदेश के 75 जनपदों में से 24 जनपद का चयन किया गया है. इन जनपदों में किसान अलग-अलग मोटे अनाजों को उगाएंगे. खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में कोर्स सीरियल (मोटे अनाज) और न्यूट्री सीरियल (पोषक अनाज) की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. कोर्स सीरियल के तहत उत्तर प्रदेश के 28 जनपद का चयन किया गया है. इसमें ज्वार, बाजरा मक्का, सावां, कोदो, मड़ुआ की खेती होगी.

ये सभी मोटे अनाज सेहत के गुणों से भरपूर हैं. दूसरी श्रेणी न्यूट्री सीरियल की है जिसकी खेती के लिए 24 जनपद चुगे गए हैं. इन मोटे अनाजों में चावल, गेहूं के मुकाबले कहीं ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं. भारत में कुपोषण को दूर भगाने और लोगों को सेहतमंद बनाने के लिए अब मोटे अनाज उपयोगी साबित होंगे. मोटे अनाज के उत्पादन पर उत्तर प्रदेश में अब खास ध्यान दिया जा रहा है. इससे उन किसानों को बेहतर फायदा होगा जो मोटा अनाज उगाते हैं या उगाने का विचार कर रहे हैं. आने वाला समय मोटे अनाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है.

बाजरा उत्पादन को बढ़ावा

उत्तर प्रदेश बाजरे के उत्पादन में पूरे देश में दूसरे स्थान पर है. सबसे ज्यादा बाजरा मध्यप्रदेश में होता है. उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं और गन्ने के बाद सबसे अधिक बाजरे का उत्पादन किया जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा मंडल के जनपदों में बाजरे का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. अभी तक उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 50 लाख मीट्रिक टन बाजरे की उपज ली जा रही है. इसे और अधिक बढ़ाने के लिए इसके रकबे में भी इजाफा किया गया है. उत्तर प्रदेश में अभी तक 9.80 लाख हेक्टेयर खेतों में बाजरे की खेती की जाती है जिसे अब बढ़ाकर 10.19 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 

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सेहत के गुणों से भरपूर मिलेट्स

गेहूं, चावल के मुकाबले मोटे अनाज को पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है. मोटे अनाजों में  बीटा कैरोटीन, नियासिन, विटामिन बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्निशियम, जिंक के अलावा अन्य विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो सेहत की दृष्टि से फायदेमंद है. इसके अलावा सभी मोटे अनाजों में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है. पोषण और स्वास्थ्य के फायदों के कारण ही इन अनाजों को सुपरफूड भी कहा गया है. मोटे अनाजों के सेवन से शरीर में उच्च रक्तचाप, अत्यधिक केलोस्ट्रोल, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर जैसे रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है.

भारत में बंपर उत्पादन

सरकारी आंकड़ा बताता है कि भारत में लगभग 140 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग पौने दो सौ लाख टन मोट अनाज (मिलेट्स) का उत्पादन होता है. वहीं पूरी दुनिया में 717 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लगभग 863 लाख टन मिलेट्स का उत्पादन होता है. भारत का मिलेट्स उत्पादन एशिया का 80 प्रतिशत और दुनिया के उत्पादन का 20 प्रतिशत है. 

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देश में मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में मिलेट्स की खेती होती है.

मिलेट्स वर्ष की अगुवाई

वर्ष 2023 में भारत की अगुवाई में दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा. इस अभियान में पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फैसला किया है कि वर्ष 2023 में भारत की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाया जाएगा.

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