बुंदेलखंड में नहीं थम रहा किसानों की खुदकुशी का सिलसिला, दो किसानों ने दे दी जान

बुंदेलखंड में नहीं थम रहा किसानों की खुदकुशी का सिलसिला, दो किसानों ने दे दी जान

यूपी के बुंदेलखंड में किसानों को कर्ज के चंगुल से बाहर निकालने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे फसल बीमा सहित अन्य उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं. फसल खराब होने का गम और कर्ज का बोझ जिंदगी से ज्यादा भारी होने के कारण झांसी जिले में बीती रात दो किसानों ने खुदकुशी कर ली. 

यूपी के झांसी में किसान ने फसल मौसम की भेंट चढ़ने के बाद कर ली आत्महत्या- फाइल फोटो (इंसर्ट में मृतक क‍िसान)यूपी के झांसी में किसान ने फसल मौसम की भेंट चढ़ने के बाद कर ली आत्महत्या- फाइल फोटो (इंसर्ट में मृतक क‍िसान)
क‍िसान तक
  • Jhansi,
  • May 01, 2023,
  • Updated May 01, 2023, 1:58 PM IST

यूपी में झांसी के जिला प्रशासन ने बताया कि दो ग्रामीणों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इनमें से एक किसान की खुदकुशी की वजह फसल खराब होना और दूसरे पर कर्ज के बोझ को इसकी वजह बताया जा रहा है. पुलिस के मुताबिक 50 वर्षीय किसान बृजेश कुमार ने काफी देर से गेहूं की फसल की कटाई की थी. इस बीच दो दिन से आंधी बारिश और ओलावृष्टि होने के कारण उपज को काफी नुकसान हो गया. तीन दिन पहले किसान की एक भैंस भी मर गई. एक के बाद एक हो रहे नुकसान को झेलने में नाकाम रहे बृजेश ने खेत पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. गौरतलब है कि पिछले महीने मार्च में भी मौसम की मार से परेशान झांसी जिले के चार किसानों ने फसल खराब होने से कर्ज का बोझ बढ़ने के बाद आत्महत्या कर ली थी. माना जा रहा है कि फसल बीमा योजना में झांसी जिले के सिर्फ एक गांव को मुआवजे के लिए शामिल किए जाने से भी किसानों में खासा असंतोष है.

पौने 2 एकड़ खेत से मिली सिर्फ 4 बोरा उपज

प्राप्त जानकारी के मुताबिक झांसी में लहर गिर्द गांव के किसान बृजेश कुमार के पास पौने 2 एकड़ जमीन है. उनके पुत्र देवेंद्र ने पुलिस को बताया कि उनके पिता ने गेहूं की पछेती फसल बोई थी. दो दिन पहले ही फसल की कटाई हुई थी, इसके तुरंत बाद मौसम खराब होने से उपज को भारी नुकसान हुआ और मात्र 4 बोरा गेहूं ही उन्हें मिल सका.

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कर्ज बना खुदकुशी की वजह

दूसरी घटना झांसी में चिरगांव ब्लॉक के बिठरी गांव में हुई. इस गांव के 46 वर्षीय किसान संतराम राजपूत पर किसान क्रेड‍िट कार्ड का कर्ज था. मृतक के चचेरे भाई राममिलन ने बताया कि संतराम ने एक फाइनेंस कंपनी से कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदा था. फसल खराब होने के कारण वह क्रेडिट कार्ड और ट्रैक्टर के कर्ज की किश्त नहीं चुका पा रहे थे.

राममिलन ने बताया कि ट्रैक्टर की 82 हजार रुपये की बकाया किश्त में से वह शनिवार को 50 हजार रुपये जमा करने के लिए कंपनी के कार्यालय में गए थे, लेकिन कंपनी ने एकमुश्त कर्ज अदायगी की बात कह कर पैसा लेने से मना कर दिया. इससे परेशान संतराम ने देर रात घर में फांसी लगा ली.

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नियम बन रहे बाधक

किसानों का कहना है कि मौसम खराब होने से पूरे इलाके में किसानों की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. फसल बीमा और सरकारी मुआवजे के लिए नियमानुसार 33 प्रतिशत फसल खराब होना अनिवार्य है. जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार पिछली बारिश में हुए सर्वे में झांसी जिले में सिर्फ एक गांव के किसानों को ही हर्जाने का हकदार माना गया. यह बात दीगर है कि भारी दबाव में सरकार ने प्लॉट टू प्लॉट सर्वे कराया था. इसके बाद भी बबीना ब्लाक के खाड़ी गांव में ही 225 किसानों को 11 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया.

इसी प्रकार पड़ोसी जिले ललितपुर में भी फसलों को हुए नुकसान के सर्वे में सिर्फ 17 गांवों में ही नुकसान होने की बात स्वीकार की गई. इसके दायरे में लगभग 7 हजार किसानों की 33 फीसदी फसल खराब होने के आधार पर उन्हें 10.27 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की बात कही गई. प्रशासन का दावा है कि अब तक किसानों को 5 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जा चुका है. इस प्रकार हुए फसल के नुकसान को लेकर नियमों की बाधा किसानों की मुसीबत को बढ़ा रही है.

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