उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में गन्ने की पेराई शुरू हो गई है. वहीं, साथ- साथ किसान भाई शीतकालीन गन्ने की बुवाई भी कर रहे हैं. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को गन्ने की बुवाई करने से पहले कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों की माने तो किसानों को गन्ने की बुवाई करने से पहले खेत की जुताई से लेकर खाद की क्वांटिटी पर भी फोकस करना चाहिए. इससे गन्ने का उत्पादन बढ़ जाएग और फसल में रोग भी नहीं लगेगा.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, शीतकालीन गन्ने की बुवाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लें. इसके बाद प्रति हेक्टेयर 10 टन गोबर खेत में डाल दें. फिर एक बार खेती की जुताई करने के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर दें. इससे गोबर मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाएगा. अब आप सिंगल बड़ से गन्ने की बुवाई कर सके हैं. खास बात यह है कि अगर आप सिंगल बड़ से गन्ने की बुवाई करते हैं, तो आपको प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल गन्ने का बिज लगेगा. यदि आप दो आंख के गन्ने की बुवाई करेंगे, तब प्रति हेक्टेयर 65 से 70 क्विंटल बीज की खपत होगी.
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अगर किसान चाहें, तो गन्ने की बुवाई करते समय खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप एक हेक्टेयर में 100 किलो यूरिया और 500 किलो सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा आप प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ने के खेत में 100 किलो एमओपी, 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रीजेंट भी डाल सकते हैं. वैज्ञानिकों की माने तो गन्ने के खेत में किसान रासायनिक खाद के साथ- साथ जैविक उर्वरक का भी उपयोग कर सकते हैं. गन्ने की बुवाई करते समय किसान भाई प्रति हेक्टेयर की दर से 5 किलो बवेरिया बेसियाना मेटाराइजियम एनिसोप्ली, 10 किलो पीएसबी और 10 किलो एजोटोबैक्टर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
खास बात यह है कि गन्ने की बुवाई करते समय एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 4 फीट से कम नहीं होनी चाहिए. साथ ही बीज की बुवाई 5 सेंटीमीटर की गहराई में ही करें. 20 से 25 दिन बाद गन्ने का पूरा जमाव हो जाएगा. फिर बुवाई के करीब एक महीने बाद गन्ने की हल्की सिंचाई कर दें. सिंचाई के समय आप खेत में प्रति हेक्टेयर की दर से 70 किलो यूरिया का भी छिड़काव कर सकते हैं. इससे गन्ने में रोग नहीं लगेगा और उत्पादन भी बंपर होगा.अगर किसान भाई चाहें, तो गन्ने के खेत में आलू, लहसुन, मटर और राजमा की भी बुवाई कर सकते हैं.
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