Maharashtra Farmers: महाराष्‍ट्र में कड़ाके की ठंड, फिर भी क्‍यों खिले हैं किसानों के चेहरे, जानें  

Maharashtra Farmers: महाराष्‍ट्र में कड़ाके की ठंड, फिर भी क्‍यों खिले हैं किसानों के चेहरे, जानें  

इस सीजन की शुरुआत किसानों के लिए आसान नहीं रही.भारी बारिश और बुआई में हुई देरी के कारण ज्वार के उत्पादन में कमी के संकेत पहले से ही मिल रहे हैं. मोहोल तालुका में हुई मूसलाधार बारिश और सीना नदी में आई बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. कई इलाकों में बाढ़ के कारण खेतों की मिट्टी कट गई.

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 29, 2025,
  • Updated Dec 29, 2025, 2:30 PM IST

महाराष्‍ट्र में विदर्भ समेत कुुछ और हिस्‍सों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. यह ठंड जहां आम जनता के लिए मुश्किल की बात है तो किसान इससे काफी राहत महसूस कर रहे हैं. मौजूदा रबी सीजन के दौरान  सोलापुर के मोहोल तालुका में खेती की तस्वीर अब धीरे-धीरे बेहतर होती नजर आ रही है. तालुका में अलग-अलग रबी फसलों की औसतन 100 प्रतिशत बुआई पूरी हो चुकी है. बीते पंद्रह दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है क्योंकि इसका सीधा फायदा गेहूं, ज्वार, चना और प्याज की फसलों को मिल रहा है. ठंड के असर से फसलों में दोबारा जान आ गई है और इस समय ये फसलें अच्छी बढ़वार की स्थिति में हैं.

सीजन की शुरुआत थी बेहद खराब 

हालांकि, इस सीजन की शुरुआत किसानों के लिए आसान नहीं रही.भारी बारिश और बुआई में हुई देरी के कारण ज्वार के उत्पादन में कमी के संकेत पहले से ही मिल रहे हैं. मोहोल तालुका में हुई मूसलाधार बारिश और सीना नदी में आई बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. कई इलाकों में बाढ़ के कारण खेतों की मिट्टी कट गई. इससे किसानों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया कि अब बुआई किस जमीन पर की जाए. बहुत ज्‍यादा बारिश की वजह से कुछ काले और सफेद मिट्टी वाले खेतों में समय पर पानी नहीं मिल सका. 

ठंड से सुधरी फसलों की स्थिति 

जैसे ही खेतों में नमी आई तो किसानों ने तुरंत बुआई शुरू कर दी. यही स्थिति गेहूं और चने की फसलों के साथ भी देखने को मिली. मौसम अनुकूल होते ही फसलों की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है. मोहोल तालुका में खेती के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग भी बड़े पैमाने पर की जाती है. इसी वजह से इस बार मक्के की 161 प्रतिशत बुआई चारे की फसल के रूप में की गई है. इससे पशुपालकों के लिए चारे की समस्या काफी हद तक कम हो गई है. इसके अलावा तालुका में इस समय चार चीनी मिलें संचालित हैं, जिनसे निकलने वाले गन्ने के अवशेषों का उपयोग भी चारे के रूप में किया जा रहा है.

खेतों में बनी हुई है नमी 

पिछले 15 दिनों से जारी कड़ाके की ठंड प्याज, गेहूं, ज्वार और चने की फसलों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. ठंड के कारण खेतों में नमी बनी हुई है और फसलों की बढ़वार तेज हुई है. वहीं, भाप बनने की स्थिति के चलते गन्ने की कटाई भी अब रफ्तार पकड़ चुकी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तालुका में तिल, अलसी और सूरजमुखी जैसी फसलों की बुआई शून्य प्रतिशत रही है और ये फसलें इस सीजन में पीछे रह गई हैं. इसके बावजूद, मौसम की मौजूदा स्थिति को देखते हुए किसान रबी फसलों से बेहतर उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं.
 

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